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समाज को खटकती हैं कलम उठाने वाली महिलाएं: सोनी पाण्डेय - आजमगढ़

आजमगढ़ जनपद साहित्य के क्षेत्र में काफी समृद्ध रहा है. आजमगढ़ जनपद में जन्म लेने वाले अयोध्या सिंह उपाध्याय, हरिऔध, राहुल सांकृत्यायन और अल्लामा शिब्ली नोमानी ने देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में आजमगढ़ का नाम रोशन किया है.

लेखिका सोनी पांडे

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Published : Sep 22, 2019, 7:59 AM IST

आजमगढ़:उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान की ओर से वर्ष 2018 के पुरस्कारों की घोषणा कर दी गई है. इस सम्मान पुरस्कार के तहत साहित्य के क्षेत्र में काम करने वाले प्रदेश के साहित्यकारों और लेखकों को पुरस्कृत किया गया. इसी के तहत आजमगढ़ जिले की लेखिका सोनी पाण्डेय को भी हिंदी यशपाल सम्मान के लिए चयनित किया गया है.

लेखिका सोनी पांडे से ईटीवी भारत की खास बातचीत.

ईटीवी भारत से बात करते हुए लेखिका सोनी पाण्डेय ने कहा कि निश्चित रूप से उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा पुरस्कार चयन में जिस तरह से मेरा नाम चयनित किया गया है, निश्चित रूप से अच्छा लग रहा है. यह एक अच्छी शुरुआत है. आजमगढ़ की धरती साहित्य के क्षेत्र में काफी समृद्ध धरती रही है. हालांकि यह पुरस्कार जोखिम भरा भी इसलिए है, क्योंकि इसके बाद जिम्मेदारियां भी बढ़ जाती हैं. उन्होंने कहा कि जिस रचना 'बलमा जी का स्टूडियो' के लिए मुझे चयनित किया गया है, उस पुस्तक में 10 कहानियां हैं, जो देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित भी हो चुकी हैं.

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सोनी पाण्डेय ने कहा कि हंस पत्रिका के लिए भी 'तैयार रखना' चयनित हुई थी, लेकिन किन्ही कारणों से प्रकाशित नहीं हो पाई. इस कहानी ने हिंदी कथा में निश्चित रूप से मेरे लिए प्रवेश द्वार खोल दिया है और आज मुख्यधारा में स्त्रियां लगातार बढ़ रही हैं और एक नई पौध आ रही है. उन्होंने कहा कि पितृ सत्तात्मक समाज में कलम उठाने वाली स्त्रियां खटकती रहती हैं, स्त्रियों को सिर्फ सहने के लिए बनाया गया है, लेकिन अब स्त्रियां बोलने के साथ-साथ लिखकर अपनी चुनौतियों को दर्ज कर रही हैं. उन्होंने कहा कि आने वाला समय निश्चित रूप से आजमगढ़ जनपद में स्त्रियों के लेखन में काफी समृद्धि होने वाला है.

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