आजमगढ़: उत्तर प्रदेश सरकार व जिला प्रशासन प्रवासी श्रमिकों को उनके जनपदों में रोजगार देने के लिए लगातार प्रयास कर रही है. दावा भी किया गया था कि प्रवासी श्रमिकों को उनके गृह जनपद में रोजगार दिलाया जाएगा. पर जिला प्रशासन व सरकार का यह दावा आजमगढ़ जनपद में खोखला साबित हो रहा है. यहां 1 लाख 70 हजार प्रवासी श्रमिकों में से मात्र 1 हजार 981 लोगों को ही रोजगार मिल सका, जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रवासी श्रमिकों को लेकर जिला प्रशासन कितना गंभीर है.
रोजगार देने में फेल साबित हुआ सेवायोजन कार्यालय. ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए आजमगढ़ जनपद के सहायक रोजगार सहायता अधिकारी तनुजा यादव ने बताया कि, जनपद में इस लॉकडाउन में 1 लाख 70 हजार से अधिक प्रवासी मजदूर आए. इन मजदूरों ने सेवायोजन कार्यालय में पंजीकरण भी कराया. इस पंजीकरण में से 1 हजार 981 मजदूरों को रोजगार भी दिया गया.
रोजगार सहायक अधिकारी तनुजा यादव ने बताया कि, जनपद में कुल मिलाकर 89 हजार 395 लोगों ने सेवा योजना कार्यालय में अपना पंजीकृत कराया था, जिसमें से 170 लोगों को रोजगार दिया गया. जबकि प्रवासी श्रमिकों में से 1 हजार 981 लोगों को रोजगार दिया गया. उ उन्होंने बताया कि, जिस तरह से पूरे देश में लगातार नौकरियों पर संकट आ रहा है, निश्चित रूप से एक बड़ी चुनौती है. ऐसे में हम लोगों का प्रयास और अधिक लोगों को रोजगार देने के लिए जारी है.
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बताते चलें कि पूरे देश में चले लॉकडाउन के कारण दूसरे राज्यों में नौकरी की तलाश में गए लोगों को अपने-अपने गृह जनपदों में वापस आना पड़ा, जिसके बाद सबसे अधिक समस्या उन्हें अपनी आजीविका चलाने में होने लगी. इसलिए जिला प्रशासन ने इन प्रवासी श्रमिकों को उनके गृह जनपद में रोजगार दिए जाने का दावा किया था, पर जिस तरह से 1 लाख 70 हजार प्रवासी श्रमिकों में से मात्र 1 हजार 981 श्रमिकों को रोजगार दिलाया जा सका, निश्चित रूप से काफी कम है.