आजमगढ़: मेहनगर थाना क्षेत्र में हुई बसपा नेता कलामुद्दीन की हत्या के मामले में पुलिस ने दो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है. पुलिस ने आरोपियों के पास से हत्या में प्रयुक्त पिस्टल को भी बरामद कर लिया है. एसपी सुधीर कुमार सिंह ने बताया कि कलामुद्दीन की हत्या की साजिश दुबई में रची गई थी.
जानें क्या है मामला
मेहनगर थाना क्षेत्र के खुन्दनपुर गांव निवासी बसपा नेता कलामुद्दीन की बीती 15 फरवरी को गांव के पास ही गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इस ममाले में कलामुद्दीन के बेटे फुरकान अहमद ने पुरानी रंजिश को लेकर गांव के ही मशरूर अहमद पुत्र मकबूल अहमद व अलीशेर अहमद पुत्र मकबूल अहमद पर हत्या कराने का आरोप लगाया था. साथ ही रिजवान उर्फ बब्लू पुत्र अंसारूल हक, कासिफ पुत्र अलिशेर, मुस्तफिजुल हंसन उर्फ बाबू पुत्र जमालुद्दीन, अब्दुल्लाह पुत्र कय्यूम निवासी खुन्दनपुर पर हत्या करने का आरोप लगाया था. पुलिस इस मामले में एफआईआर दर्ज कर जांच में जुटी थी. आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए चार टीमें गठित की गईं थी.
हत्या में शामिल दो आरोपी गिरफ्तार
शुक्रवार को मेहनगर जयनगर तिराहे पर पुलिस वाहन चेकिंग कर रही थी. उसी दौरान मुखबिर से सूचना मिली कि कलामुद्दीन हत्याकांड के आरोपी मंगरावा से लाल रंग की यूनिकॉर्न बाइक से अक्षैयबर पुलिया की तरफ आ रहे हैं. इस सूचना पर प्रभारी निरीक्षक मंगरावा के लिए रवाना हुए. अभी वह जाफरपुर के पास पहुंचे ही थे कि लाल रंग की यूनिकॉर्न बाइक आती दिखाई दी. इस दौरान पुलिस ने घेराबंदी कर रिजवान अहमद पुत्र अंसारूल हक व कासिफ पुत्र मो. अलिशेर को गिरफ्तार कर लिया. पुलिस ने कासिफ के पास से एक अदद पिस्टल 32 बोर व दो अदद जिंदा कारतूस 32 बोर बरामद किया.
दुबई में रची गई थी हत्या की साजिश
पुलिस अधीक्षक सुधीर कुमार सिंह ने बताया कि पूछताछ में अभियुक्तों ने बताया कि मसरूर व अलीशेर पुत्रगण मकबूल ने दुबई में रहकर हत्या का प्लान तैयार किया. प्लान के तहत स्थानीय शूटर मुस्तफिल हसन उर्फ बाबू के माध्यम से दो और शूटरों को हायर किया गया. इसके बाद घटना को अंजाम दिया गया. एसपी ने बताया कि मृतक कलामुद्दीन अपराधी प्रवृति का व्यक्ति था और गांव में इसका आतंक था. इसके भय के चलते अलीशेर व मसरूर यहां से भागकर दुबई में रहते हैं.
मृतक का गांव में था आतंक
1989 में जलालूद्दीन जो पेशे से होमगार्ड था, उसकी हत्या कलामुद्दीन व उनके आदमियों ने की थी. इसका प्रतिशोध लेने के लिए 2012 में खुर्शीद की हत्या बाबू द्वारा की गई, जो कलामुद्दिन का सहयोगी था, जिससे नाराज होकर कलामुद्दिन ने सितंबर 2020 में कामरान की हत्या कराई थी. इस प्रकार गांव में दो आपराधिक ग्रुप पूरी तरह से सक्रिय थे. एक ग्रुप का नेतृत्व मृतक कलामुद्दीन करता था, जबकि दूसरे का संचालन दुबई में बैठे मसरूर व अलीशेर करते हैं. कलामुद्दिनी के आतंक को समाप्त करने के लिए उसकी हत्या कराई गई.