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शिक्षा के क्षेत्र में कार्यों के लिए युगों तक याद किए जाएंगे शिब्ली नोमानी - shibli national college

उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ में शिब्ली नेशनल कॉलेज की स्थापना 1883 में अल्लामा शिब्ली नोमानी ने की थी. बता दें कि एशिया की सबसे बड़ी लाइब्रेरी शिब्ली कालेज में ही है, जिसके चलते भारत ही नहीं देश-विदेश के छात्र-छात्राएं भी कॉलेज में शोध अध्ययन के लिये आते हैं.

विदेशों से भी अध्ययन करने आते हैं छात्र

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Published : Aug 21, 2019, 9:18 PM IST

आजमगढ़:जिला मुख्यालय से लगभग 20 किलोमीटर दूर स्थित बिंदल गांव के निवासी अल्लामा शिब्ली नोमानी ने शिबली कॉलेज की स्थापना 1883 में की थी. नोमानी अब हमारे बीच नहीं है लेकिन जिले में शिक्षा के क्षेत्र में उन्होंने जो सराहनीय कार्य किया है, उसके लिये उन्हें युगों तक याद किया जाएगा.

एशिया की सबसे बड़ी लाइब्रेरी का सरताज है शिब्ली कालेज.

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शिब्ली नोमानी हमेशा रहेंगे यादों में-

बिंदल गांव निवासी फारूक आलम ने बताया कि शिक्षा के क्षेत्र में अल्लामा शिब्ली नोमानी ने जो काम किया है इसके चलते आज भी दूर-दूर से लोग रिसर्च करने के लिए आते हैं. शिब्ली कॉलेज की स्थापना करने के साथ सर सैयद अहमद खान के साथ मिलकर उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की स्थापना में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. शिब्ली कॉलेज में बनी लाइब्रेरी में आज भी डेढ़ लाख से अधिक पुस्तकें रखी गई हैं.

एकेडमी के लाइब्रेरियन कमर अब्बास ने बताया कि शिब्ली नोमानी का एक सपना था कि उनके पास किताबें हो, किताबों का जखीरा हो और अपने राइटर अपनी प्रिंटिंग प्रेस हो. इस लाइब्रेरी में डेढ़ लाख से अधिक पुस्तके हैं.

इसमें ऐसी रेयर बुक्स हैं जो अन्यत्र कहीं नहीं मिलती. इसमें भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के कई मुल्कों से बड़ी संख्या में शोध करने वाले छात्र-छात्राएं आते हैं.

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