आजमगढ़: जनपद में एक अनोखी शादी होने वाली है। बेटा-बेटी, बहू और पोती-पोता समेत अन्य रिश्तेदार इसके साक्षी भी बनेंगे. आजमगढ़ के अमिलो गांव में 30 साल का दूल्हा 69 साल की दुल्हन के साथ पुनर्विवाह रचाने जा रहा है.
दरअसल यह पूरी कहानी है आजमगढ़ जनपद के मुबारकपुर थाना क्षेत्र के अमिलो गांव के रहने वाले लाल बिहारी ''मृतक'' की. लाल बिहारी 30 जुलाई 1976 से 30 जून 1994 तक सरकारी अभिलेखों के मुताबिक मृत रहे. लंबी लड़ाई के बाद प्रशासन ने जून 1994 को उनके अस्तित्व को स्वीकार कर लिया और जीवित घोषित कर दिया. मगर प्रशासन ने इनके मृत होने की फाइल ही गायब कर दी. लाल बिहारी ने अपने काे जिंदा साबित करने के लिए सितंबर 1986 में विधान सभा में कागज के गोले फेंके.
वर्ष 1988 में पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह व कांशीराम के खिलाफ इलाहाबाद से उपचुनाव लड़ा. वर्ष 1989 में पूर्व प्रधान मंत्री राजीव गांधी के खिलाफ लोकसभा का चुनाव लड़ा, लेकिन न्याय नहीं मिला. उन्होंने अपने भतीजे का अपहरण तक किया ताकि उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज हो, लेकिन मुकदमा दर्ज नहीं हुआ. लंबे संघर्ष के लाल बिहारी मृतक अभिलेखों में जिंदा हो गए. उन्होंने मृतक संघ बनाकर दस्तावेजों में मृत घोषित हो चुके लोगों को जिंदा कराने का संकल्प लिया.
अब तक लगभग 1000 से अधिक लोगों को वह कागज में जिंदा करा चुके हैं. लगभग 47 साल की लंबी लड़ाई लड़ी. हालांकि उनकी उम्र 69 की हो चुकी है लेकिन वह अपनी उम्र तब से जोड़ रहे जब से प्रशासन ने उन्हें कागजों में दोबारा जिंदा किया है. अब वह अपनी उम्र 30 वर्ष बता रहे हैं. वह एक बार फिर से अपनी ही 69 वर्ष की पत्नी से पुनर्विवाह करने जा रहे हैं. इसे लेकर चर्चाओं का बाजार पूरी तरह से गर्म है. हालांकि, पुनर्विवाह करने के लिए स्थान चयन को लेकर मंथन किया जा रहा है.