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भाई-दूज पर होती है काल के देवता की पूजा, ये है मान्यता

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को राम नगरी अयोध्या में एक अनूठी परंपरा का पालन होता है. बड़ी श्रद्धा और आस्था के साथ श्रद्धालु मां सरयू में स्नान करते हैं और भगवान यमराज के मंदिर में जाकर उनकी पूजा अर्चना करते हैं.

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Published : Nov 16, 2020, 5:40 PM IST

यमराज की पूजा.
यमराज की पूजा.

अयोध्याः कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को राम नगरी अयोध्या में भक्त मां सरयू में स्नान कर भगवान यमराज के मंदिर में जाकर उनकी पूजा-अर्चना करते हैं. ऐसी मान्यता है कि यम द्वितीया तिथि पर यमराज की पूजा करने से अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है और जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है. इसी मनोकामना को लेकर बड़ी संख्या में इस बार भी लोग अयोध्या के जमथरा घाट पर पहुंचे और भगवान यमराज की पूजा अर्चना की.

भाई-दूज पर यमराज की पूजा.

सदियों से चली आ रही परम्परा
यमराज मंदिर पहुंचे श्रद्धालु मुकेश गुप्ता ने बताया कि ऐसी मान्यता है कि दिवाली के बाद इस घाट पर लोग अपने घर में स्थापित पुरानी देवी-देवताओं की प्रतिमाओं का विसर्जन भी करते हैं. इसके बाद स्नान और भगवान यमराज के दर्शन करते हैं. इस परंपरा का पालन करने के लिए इस वर्ष भी बड़ी संख्या में लोग सुबह होते ही सरयू तट के किनारे पहुंच गए थे. ये परंपरा सदियों से चल रही है.

बारिश में भी भक्तों की रही भीड़
लगातार हो रही बारिश के बावजूद लोगों की आस्था कहीं से कम नहीं हुई. बड़ी श्रद्धा के साथ लोगों ने भगवान यमराज की पूजा अर्चना की. श्रद्धालु ममता सोनी ने बताया की बचपन से वह यम द्वितीया तिथि पर दर्शन और पूजन करने आ रही हैं. आज के दिन विशेष व्रत और पूजन की परंपरा है. इसीलिए स्नान और पूजन करने आए हैं.

भाई दूज पर यमराज ने बहन यमुना को दिया था वरदान
यम द्वितीया पर्व को लेकर अलग-अलग धार्मिक ग्रंथों और पुराणों में अलग-अलग कथाएं प्रचलित हैं. सरयू नदी के किनारे पुरोहित का कार्य करने वाले पुरुषोत्तम पांडेय ने बताया कि यमराज और यमुना भाई-बहन हैं. भाई दूज पर यमुना ने यमराज को रक्षा सूत्र बांधा था, तब यमुना ने यमराज से यह वरदान मांगा था कि आज के दिन जो व्यक्ति यमुना नदी में स्नान करेगा और यमराज की पूजा करेगा उसका मृत्यु का भय समाप्त हो जाए. इसी वजह से भाई-दूज का पर्व मनाया जाता है और यमराज की पूजा-अर्चना होती है. इसी कारण प्रमुख नदियों के किनारे स्नान पूजन करने का विशेष महत्व है.

अयोध्या में यमराज ने पाया था स्थान
अयोध्या में सरयू तट के किनारे स्थित प्राचीन यमराज मंदिर के महंत अवध किशोर शरण ने बताया कि रुद्रयामल ग्रंथ में भी इस बात का स्पष्ट प्रमाण है कि मृत्यु के देवता यमराज ने अयोध्या देवी से अयोध्या में रहने के लिए स्थान मांगा था. इसे स्वीकार करते हुए अयोध्या देवी ने उन्हें एक निर्जन स्थान पर सरयू तट के किनारे रहने की अनुमति दी थी. इससे प्रसन्न होकर यमराज ने यह वचन दिया था, यम द्वितीय तिथि पर जो भी व्यक्ति सरयू नदी में स्नान करेगा और यमराज की पूजा अर्चना करेगा उसके जीवन में सुख शांति समृद्धि आएगी. वह अकाल मृत्यु के बंधनों से मुक्त हो जाएगा. इसी मान्यता के चलते बड़ी संख्या में लोग यम द्वितीय तिथि पर इस प्राचीन मंदिर में दर्शन और पूजन के लिए आते हैं.

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