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अयोध्या: मुफलिसी में अपना ही खून बना दुश्मन, न घर है न ठिकाना - कोतवाली रुदौली

उत्तर प्रदेश के अयोध्या में एक परिवार अपने दबंग चचेरे भाई की दबंगई के कारण घर से बेदखल होने की कगार पर है. दबंग ने पुलिस की मिलीभगत से अपने ही चचेरे भाइयों को पैतृक निवास से सामान सहित बाहर कर दिया. इस पूरे मामले में पुलिस प्रशासन की बेरुखी सामने आई. पुलिस ने दबंगों पर कोई कार्रवाई करने के बजाए उल्टे पीड़ित का ही शांतिभंग की आशंका में चालान कर दिया.

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पुश्तैनी मकान का हक पाने की मांग करता परिवार.

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Published : Nov 6, 2020, 3:59 PM IST

अयोध्या: कोतवाली रुदौली क्षेत्र में एक परिवार दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर है. नगर के पूरे खान वार्ड में प्रवासी पीड़ित परिवार के घर की दीवार तोड़कर दबंगों ने पहले दरवाजा लगा लिया. इतने पर भी जब दबंग का मन नहीं भरा तो स्थानीय पुलिस के साथ मिलकर उसे सामान सहित घर से बाहर का रास्ता दिखा दिया. हालात यह हैं कि कोरोना काल में पूरा परिवार खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर है. पुलिस दबंगों पर कोई कार्रवाई करने के बजाए उल्टे पीड़ित का ही शांतिभंग की आशंका में चालान कर दिया. पीड़ित परिवार कोतवाली और स्थानीय प्रशासन से गुहार लगाकर थक चुका है. प्रशासन की ओर से अब तक न्याय न मिलने पर पीड़ित प्रवासी राकेश कुमार ने सम्पूर्ण समाधान दिवस पर आए डीएम को अपनी फरियाद सुनाई.

पुश्तैनी मकान का हक पाने की मांग करता परिवार.
पैतृक निवास से बेदखल करने का हो रहा प्रयास
मामला कोतवाली रुदौली के नगर क्षेत्र स्थित पूरे खान मोहल्ले का है. पीड़ित राकेश और राजेश यहां अपने पैतृक होने का दावा कर रहे हैं. आरोप है कि उन्हें उनका चचेरा भाई अपने पैतृक निवास की जमीन पर रहने नहीं दे रहा है. पीड़ित को जबरन गांव से बाहर निकालने का प्रयास किया जा रहा है.
धन के अभाव में नहीं बन सका मकान
जिलाधिकारी को दिए गए शिकायती पत्र में पीड़ित राजेश ने कहा है कि मेरे पिता रामनारायण के सगे भाई सत्यनारायण थे. दोनों पुश्तैनी मकान में रहते थे. दोनों की मृत्यु हो जाने के बाद सत्यनारायण के पुत्र ओमप्रकाश ने बाहमी बटवारा हो जाने पर उन्होंने अपने हिस्से की भूमि पर मकान बनवा लिया था. प्रार्थी व उसका भाई राजेश कुमार गरीबी के कारण अपना मकान नहीं बनवा सके. सिर्फ बाउंड्रीवॉल का निर्माण कराके काम की तलाश में महाराष्ट्र के पूना चले गए, लेकिन उनका आना-जाना अपने मकान में लगा रहता था. देखभाल के अभाव में उनका मकान खंडहर में तब्दील होकर गिर गया. लॉकडाउन के कारण काम धंधा बंद होने से परिवार सहित रुदौली आकर अपने हिस्से की भूमि पर पन्नी लगाकर गुजर-बसर करने लगे.
सदस्यों के परिवार को गांव में नहीं मिल रही रहने की जगह
पीड़ित राजेश का कहना है कि बचपन में उसके हाथ में गंभीर चोट लगी थी, जिससे वह एक हाथ से ठीक से काम नहीं कर पाता. भाई राजेश का एक पैर आंशिक रूप से पोलियोग्रस्त है, जिससे वह ठीक से चल नहीं पाता है. पीड़ित का आरोप है कि इसी बीच विपक्षियों ने दबंगई के बल पर घर से निकलने पर जान से मारने की धमकी देने लगे. पीड़ित का आरोप है कि विपक्षियों ने बीते 26 अक्टूबर को उसके हिस्से की जमीन पर दबंगई के बल पर दरवाजा खोल लिया और उनका सारा सामान फेंक कर महिलाओं से अभद्रता करते हुए उनके जेवर छीनकर घर से निकाल दिया. जब उसने कोतवाली पहुंच कर पुलिस से सहायता मांगी तो उल्टे उसके विरुद्ध एकतरफा कार्रवाई की गई. शांतिभंग की आशंका में जब उसे गिरफ्तार कर लिया गया, तो मोहल्लेवासियों ने उसकी जमानत कराई.स्थानीय लोगों की मानें तो पुलिस की इस तरह की एकतरफा कार्रवाई गले नहीं उतर रही है. पीड़ित परिवार दो महिलाओं, 6 बच्चों सहित दर-दर भटकने को मजबूर है. मामले में एसडीएम विपिन सिंह का कहना है कि पीड़ित ने एक शिकायती पत्र दिया था, जिस पर नयागंज पुलिस चौकी प्रभारी को जांच करके अवैध हस्तक्षेप को रोकने के लिए लिखा गया. उसके बाद क्या हुआ, इसकी जानकारी उन्हें नहीं हुई है, लेकिन मामले में अन्याय नहीं होने दिया जाएगा.

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