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प्रभु श्रीराम की अंतिम निशानी यह मंदिर हुआ खंडहर, श्रद्धालुओं को लगता है डर

योगी सरकार करोड़ों रुपये खर्च करके अयोध्या को विश्व पर्यटन के पटल पर स्थापित करने का प्रयास कर रही है. वहीं दूसरी ओर अयोध्या में ही स्थित भगवान श्रीराम की अंतिम निशानी अब खतरे में है.

गुप्तारगढ़ी मंदिर.

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Published : Oct 20, 2019, 12:27 PM IST

अयोध्या:तीसरी बार अयोध्या में दीपोत्सव के भव्य आयोजन की तैयारी चल रही है. इस आयोजन को और अधिक भव्यता देने के लिए राम की पैड़ी और गुप्तार घाट के विकास पर सरकार ध्यान दे रही है. वहीं गुप्तार घाट पर ही एक ऐसा प्राचीन मंदिर है, जहां भगवान राम की अंतिम निशानी सुरक्षित है, लेकिन जर्जर दीवारों के चलते वह अब खतरे में है.

गुप्तारगढ़ी मंदिर अयोध्या.

मंदिर की स्थिति को देखकर लगता है कि इसकी पूरी तरह से अनदेखी की जा रही है. मंदिर में प्रवेश करना किसी खतरे से कम नहीं है. मंदिर के भीतर भगवान राम की अंतिम निशानी उनकी चरण पादुका रखी हुई है. दूसरे तल पर भगवान राम और उनके पूरे परिवार की मूर्तियां हैं. यहीं पर भगवान राम के गुप्त होने से पहले और बाद की तस्वीरें भी मौजूद हैं. अब मंदिर का अधिकांश हिस्सा खंडहर में तब्दील हो चुका है.

मान्यता है कि भगवान राम के देवलोक गमन के समय वह अपनी खड़ाऊं सरयू नदी किनारे छोड़ गए थे. जिसे बाद में स्थापित कर एक मंदिर बनाया गया. इस मंदिर को गुप्तारगढ़ी के नाम से जाना जाता है. मंदिर में भगवान की अंतिम निशानी खड़ाऊं सुरक्षित है.

गुप्तारगढ़ी मंदिर में पूजा पाठ का काम देख रहे पुजारी जगदीश दास का कहना है कि इस मंदिर की मान्यता राम लला मंदिर के समान है. इस मंदिर में दर्शन किए बिना अयोध्या आने वाले श्रद्धालुओं की यात्रा पूरी नहीं मानी जाती. भगवान राम के अंतिम रुप का दर्शन करना आवश्यक है. ऐसा कहा जाता है कि मंदिर उज्जैन के राजा विक्रमादित्य के समय में बनवाया गया था, जो अब जर्जर हो चुकी हैं.

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