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अयोध्या: 30 वर्ष से शुगर मिल ने नहीं किया गन्ने का भुगतान, धरने पर किसान

अयोध्या में एक शुगर मिल ने 30 साल से एक किसान को चार ट्रॉली गन्ने का भुगतान नहीं किया है. किसान ने इसकी शिकायत कई बार वरिष्ठ अधिकारियों से की, लेकिन आज तक उसके बकाए का भुगतान नहीं हो सका. जिसके बाद पीड़ित किसान अब अपने खेत में ही धरने पर बैठ गया है.

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. किसान ने इसकी शिकायत कई बार वरिष्ठ अधिकारियों से की पर भुगतान न हो सका.

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Published : Oct 21, 2020, 1:48 PM IST

अयोध्या: एक वृद्ध ने मसौधा समिति और केएम सुगर मिल के अधिकारियों पर किसान ने अपनी फसल की कीमत न देने का आरोप लगाया है. वृद्ध का कहना है कि उसने 30 वर्ष पहले केएम सुगर मिल को गन्ना बेचा था. लेकिन उसका भुगतान अब तक नहीं हो पाया है. गन्ना के बकाया भुगतान की मांग कर रहा वृद्ध अब थक हार कर अपने खेत में धरने पर बैठ गया है.

चार ट्रॉली गन्ने का भुगतान बकाया

गन्ना मूल्य भुगतान की यह समस्या केएम सुगर मिल के गन्ना पेराई वर्ष 1990-91 की है. जब विकासखंड क्षेत्र बीकापुर स्थित दोहरी पातूपुर गांव निवासी गन्ना किसान रामतेज वर्मा के पिता त्रिवेणी राम वर्मा ने नाम से केएम सुगर मिल मसौधा को अपना गन्ना बेचा था. किसान के 4 ट्राली गन्ने का भुगतान आज करीब 30 वर्ष बाद मिल की ओर से नहीं किया गया. किसान मिल और गन्ना समिति के समक्ष अपनी समस्याएं उठाते-उठाते वृद्ध हो गया लेकिन समाधान अब तक नहीं हो पाया.

खेत में धरने पर बैठा किसान

रामतेज वर्मा थक हार कर अब अपने खेत में ही धरने पर बैठ गए हैं. रामतेज का कहना है कि कोरोना काल है ऐसे में समिति, मिल या फिर किसी प्रशासनिक कार्यालय के बाहर धरना देना उचित नहीं. वे नियमों का पालन करते हुए अपनी मांग की पूर्ति के लिए अपने खेत में धरने पर बैठे हैं.

वरिष्ठ अधिकारियों से शिकायत के बावजूद नहीं सुलझी समस्या

वृद्ध का कहना है कि उनके पिता त्रिवेणी वर्मा के नाम पर वर्ष 1990- 91 में गन्ना सहकारी समिति मोती नगर मसौधा द्वारा गन्ना आपूर्ति किया गया था. 30 वर्ष बीत जाने के बावजूद चार ट्रॉली गन्ने का पैसा अभी तक नहीं मिला है, जिसकी शिकायत कई बार वरिष्ठ अधिकारियों से की गई. इसके बावजूद भुगतान नहीं हो पाया. मजबूर होकर वे अपने खेत में बैठकर अब विरोध शुरू कर रहे हैं. रामतेज ने बताया कि जिले के आला अधिकारियों से फरियाद करने के अलावा लखनऊ में मुख्यमंत्री जनता दरबार में भी पेश हो चुके हैं इसके बावजूद शासन और प्रशासन ने संज्ञान नहीं लिया.

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