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अयोध्या का गौरवशाली इतिहास, 5 अगस्त होगा स्वर्णिम दिन

अयोध्या एक धार्मिक नगरी, जिसका वेदों से लेकर पुराणों तक में जिक्र है. पवित्र सरयू नदी के तट पर स्थिति इस रामनगरी को न जाने कितनों से नामों से पुकारा जाता है, लेकिन 5 अगस्त अयोध्या के गौरवाशाली इतिहास का एक स्वर्णिम दिन होगा, जब पीएम मोदी भूमि पूजन कार्यक्रम में शिरकत करेंगे, तो पूरे विश्व की निगाह अयोध्या पर होगी.

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अयोध्या का गौरवशाली इतिहास

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Published : Aug 1, 2020, 11:13 PM IST

अयोध्या:ये पवित्र सरयू नदी के तट पर बसा है. इस नगर को मनु ने बसाया था और इसे 'अयोध्या' नाम दिया. अयोध्या का अर्थ है अ-युध्य अर्थात जहां कभी युद्ध नहीं होता. इस रामनगरी को कौशल देश भी कहा जाता है. जानकारी के मुताबिक सातवीं शताब्दी में चीनी यात्री हेनत्सांग आया था. उसके अनुसार यहां 20 बौद्ध मंदिर थे, जिसमें करीब 3000 भिक्षु रहते थे.

स्पेशल रिपोर्ट.
अयोध्या का गौरवशाली इतिहास
भूमि पूजन से पहले जगमग अयोध्या.
दीयों से जगमगाती अयोध्या.
दुल्हन की तरह सजी अयोध्या.
अयोध्या का भव्य नजारा.

वेद में अयोध्या को ईश्वर का नगर बताया गया है. वहीं अथर्ववेद में यौगिक प्रतीक के रूप में अयोध्या का उल्लेख है. जैन मत के अनुसार यहां चौबीस में से पांच तीर्थंकरों का जन्म हुआ था. इसके अलावा जैन और वैदिक दोनों मतों के अनुसार भगवान रामचन्द्र जी का जन्म भी इसी भूमि पर हुआ.

अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर लंबा संघर्ष चला... आखिरकार 5 अगस्त का वो एतिहासिक पल आ ही गया, जिसके इंतजार में न जाने कितनी पीढ़ियां निकल गईं. 22 किलो की चांदी की ईंट जब नींव में रखी जाएगी, तो इस पल का साक्षी पूरा भारत होगा. इस दौरान स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मौजूद रहेंगे. राम नगरी को दुल्हन की तरह सजाया गया है. पूरी अयोध्या में राम नाम का गुणगान किया गया है. आप जब भी राम नगरी में प्रवेश करेंगे तो आपको दीवारों पर राम नाम लिखा दिखाई देगा.

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