अयोध्याः दिल्ली के जवाहर नेहरू विश्वविद्यालय(JNU) के कुलपति शांतिश्री धूलिपुडी पंडित द्वारा भगवान शिव को ओबीसी, एससी जाति से जुड़ा हुआ बताए जाने को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. उनके इस बयान पर हिंदू संगठनों ने कड़ी आपत्ति जताई है. वहीं, प्रसिद्ध सिद्ध पीठ हनुमानगढ़ी के प्रमुख पुजारी राजू दास ने जेएनयू के कुलपति के बयान पर कड़ी नाराजगी जाहिर करते हुए उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर कानूनी कार्रवाई करने की मांग की है.
पुजारी राजू दास ने कहा है कि इस तरह के लोग सस्ती लोकप्रियता पाने के लिए हमारी धर्म संस्कृति और हमारी देवी-देवताओं का मजाक उड़ाते हैं. वामपंथी लोग और बॉलीवुड के वे स्टार, जो सस्ती लोकप्रियता पाने के लिए हमारी संस्कृति परंपरा धर्म और हमारे देवी-देवताओं का मजाक उड़ाते हैं. इस तरह के लोग अपने निजी स्वार्थ के लिए हमारी आस्था पर प्रतिघात करते हैं.
जेएनयू के कुलपति द्वारा भगवान शिव को लेकर दिया गया बयान भी इसी का एक उदाहरण है. आखिरकार हमारे देवी-देवताओं की जाति कैसे हो सकती है. जब वह इस लौकिक व्यवस्था के सदस्य ही नहीं है. उन्होंने कहा कि देशभर में रहने वाले धर्मावलंबियों से मांग करता हूं कि सभी लोग कुलपति के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराएं और इन्हें गिरफ्तार कर इनके खिलाफ विधिक कार्रवाई की जाए.
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वाराणसी में अखिल भारतीय संत समिति ने जताई नाराजगी
देवी-देवताओं की जाति संबंधी जेएनयू की कुलपति के बयान पर वाराणसी में अखिल भारतीय संत समिति ने गहरी नाराजगी जताई है. वाराणसी में मंगलवार को समिति के महासचिव स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि सनातन हिंदू धर्म का अनादर संत समाज बर्दाश्त नहीं करेगा. जरूरत पड़ेगी, तो सनातन हिंदू धर्म की रक्षा के लिए संत समाज सड़क पर उतरेगा.
जेएनयू की कुलपति शांतिश्री धुलीपड़ी पंडित ने सोमवार को कहा था कि हिंदू देवता किसी ऊंची जाति से नहीं आते हैं. भगवान शिव भी शूद्र हैं, क्योंकि वे श्मशान में बैठते हैं. इसे लेकर स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि जेएनयू की कुलपति ने जिस प्रकार हिंदू देवी-देवताओं को जाति, वर्ण और भाषा में बांटने का प्रयास किया है, यह दिल्ली के इलीट वर्ग की एक कुत्सित मानसिकता है. अखिल भारतीय संत समिति इसकी घोर निंदा करती है. ऐसे तथाकथित बुद्धिजीवियों से हमारा यही कहना है कि ऐसे बहुत सारे क्षेत्र हैं जहां आप अपने दांव आजमाएं.
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सनातन हिंदू धर्म के देवी-देवता और महापुरुष भले ही किसी भी धर्म और वर्ण में पैदा हुए हों, लेकिन वह इन सब चीजों से परे हैं. हम न भगवान राम को किसी जाति के दायरे में बांध सकते हैं और न भगवान परशुराम या भगवान कृष्ण को किसी जाति के दायरे में ले सकते हैं. इसलिए हिंदू देवी-देवताओं के बारे में तथाकथित बुद्धिजीवी कोई बयानबाजी ना करें, यही बेहतर होगा.
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