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रानी पद्मावती बलिदान दिवस पर अयोध्या में जलाए गए 16000 दीपक - CM Yogi Adityanath

रानी पद्मावती बलिदान दिवस पर अयोध्या में अलग-अलग स्थानों पर 16000 दीपक जलाए गए. इसमें महिलाओं और युवाओं के साथ बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लिया.

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रानी पद्मावती बलिदान दिवस

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Published : Aug 27, 2022, 2:17 PM IST

अयोध्या:अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए 16000 वीरांगनाओं के साथ रानी पद्मावती के जौहर दिवस पर अयोध्या में रानी पद्मावती का बलिदान दिवस मनाया गया. साथ ही 16000 दिए जलाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई. यह कार्यक्रम मित्र मंच ने शुक्रवार देर रात आयोजित किया. इसमें अयोध्या के साधु संत भी शामिल हुए. सिंहल द्वीप के राजा गंधर्व सेन और रानी चंपावती की बेटी पद्मावती की शादी चित्तौड़ के राजा रतन सिंह के साथ हुई थी.

इतिहास में रानी पद्मावती की सुंदरता के साथ शौर्य और बलिदान के बेमिसाल उदाहरण मिलते हैं. कहते हैं कि दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी तक जब इसकी सूचना पहुंची तो वह हर कीमत पर रानी पद्मावती को हासिल करना चाहता था. इसीलिए उसने चित्तौड़ पर हमला किया और धोखे से राजा रतन सिंह की हत्या कर दी. रानी पद्मावती को जब इसकी सूचना मिली तो उन्होंने अलाउद्दीन खिलजी के हाथ न पड़ने और अपने अस्तित्व और स्वाभिमान की रक्षा के लिए 16000 महिलाओं के साथ आग में कूद कर जान दे दी. रानी पद्मावती की इसी जोहर गाथा को याद करने के लिए अयोध्या में पिछले तीन वर्षों से बलिदान दिवस मनाया जाता है.

डॉ.रामविलास दास वेदांती ने दी जानकारी

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रानी पद्मावती के जय घोष के बीच अयोध्या में अलग-अलग स्थानों पर 16000 दीपक जलाए गए. इसमें महिलाओं और युवाओं के साथ बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लिया. इस मौके पर भाजपा के पूर्व सांसद और राम जन्मभूमि न्यास के सदस्य रामविलास दास वेदांती ने कहा कि 26 अगस्त के दिन प्रदेशों की सभी राजधानियों और दिल्ली के रामलीला मैदान में रानी पद्मावती के नाम पर जोहर दिवस, स्वाभिमान दिवस और बलिदान दिवस मनाया जाए.

उनके नाम पर विश्वविद्यालय बनाकर उनकी गाथा लोगों को पढ़ाने और बताने पर भी जोर दिया जाए. यही नहीं उन्होंने देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) से 26 अगस्त को बलिदान दिवस घोषित करने की मांग की. वहीं, पिछले 3 वर्षों से रानी पद्मावती की याद में बलिदान दिवस मनाने वाले मित्र मंच के संस्थापक शरद पाठक बाबा ने अपने इतिहास को संजोने और आने वाली पीढ़ी को बताने और पढ़ाने पर जोर दिया.

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