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अयोध्या: रामलला के बुलेटप्रूफ गर्भगृह में अनुष्ठान जारी, कल 9 किलो चांदी के सिंहासन पर विराजेंगे भगवान - अयोध्या खबर

यूपी के अयोध्या में रामलला के अस्थायी गर्भगृह के लिए भूमि पूजन के बाद प्राण प्रतिष्ठा के लिए अनुष्ठान शुरू हो चुका है. 25 मार्च को रामलला 9 किलो 500 ग्राम के सिंहासन पर विराजमान होंगे. यह सिंहासन 25 इंच लंबा, 15 इंच चौड़ा और 30 इंच ऊंचा है.

25 मार्च को 9 किलो चांदी के सिंहासन पर विराजेंगे भगवान.
25 मार्च को 9 किलो चांदी के सिंहासन पर विराजेंगे भगवान.

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Published : Mar 24, 2020, 1:04 PM IST

अयोध्या: रामलला के अस्थायी गर्भगृह के लिए भूमि पूजन के बाद प्राण प्रतिष्ठा के लिए अनुष्ठान शुरू हो चुका है. 15 वैदिक पंडित मंत्रोच्चार के साथ नए गर्भगृह में रामलला को स्थापित करने से पहले देवी-देवताओं का आह्वान कर रहे हैं. यह अनुष्ठान पूरा होने के बाद रामलला को टेंट के गर्भगृह से बुलेटप्रूफ अस्थायी गर्भगृह में स्थापित किया जाएगा.

25 मार्च को 9 किलो चांदी के सिंहासन पर विराजेंगे भगवान.

23 मार्च यानी सोमवार की सुबह 7 बजे ब्रह्म मुहूर्त में शुरू हुई राम जन्मभूमि परिसर में रामलला के गर्भगृह की भूमि पूजन की प्रक्रिया शास्त्रीय विधि से पूरी हो चुकी. इस अनुष्ठान में भूमि शुद्धिकरण, भूमि चेतना, भूमि आह्वान की पूजा 15 वैदिक विद्वानों ने पूरी की है. इस अनुष्ठान में विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय संयुक्त महामंत्री कोटेश्वर शर्मा, केंद्रीय मंत्री अशोक तिवारी, राम जन्मभूमि क्षेत्र ट्रस्ट के ट्रस्टी राजा बिमलेंद्र मोहन मिश्र और डॉक्टर अनिल मिश्र शामिल हुए.

इस भूमि पूजन कार्यक्रम में मुख्य यजमान की भूमिका में डॉक्टर अनिल मिश्र रहे. 2 दिन तक चलने वाले इस अनुष्ठान में पहले दिन भूमि शुद्धिकरण के बाद वैदिक विद्वानों ने अब मंत्रोच्चार के साथ अस्थायी गर्भगृह में प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान शुरू कर दिया है.

अयोध्या के संतों की मानें तो मंदिर में भगवान की प्रतिमा स्थापित करने से पहले भूमि का शुद्धिकरण किया जाता है. उसके बाद देवी देवताओं का आह्वान होता है. इस अनुष्ठान के करने से मूर्ति में भगवान का वास हो जाता है. माना जाता है कि इस अनुष्ठान से मूर्ती में जीवित रूप में भगवान स्थापित होते हैं और उनके दर्शन से श्रद्धालुओं और भक्तों का कल्याण होता है.

क्या है प्राण प्रतिष्ठा
नाका हनुमानगढ़ी के महंत रामदास कहते हैं कि जब मंदिर में मूर्ति स्थापना की जाती है तो मिट्टी, तांबे या फिर कांस्य धातु के कलश में जल रखा जाता है. विद्वान वैदिक मंत्रोच्चार के साथ इस जल को अभिमंत्रित करते हैं. जिसके बाद इसी जल को मूर्ति में डाला जाता है. माना जाता है कि इस अभिमंत्रित जल की मूर्ति पर पड़ने से मूर्ति में भगवान का वास हो जाता है.

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रामलला 9 किलो चांदी के सिंहासन पर विराजेंगे
अयोध्या राज परिवार के प्रमुख और श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के ट्रस्टी राजा बिमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र ने रामलला के लिए 9 किलो 500 ग्राम चांदी का सिंहासन दान किया है. ट्रस्ट के महामंत्री चंपत राय ने कहा है कि रामलला अपने नए घर में इसी सिंहासन पर विराजमान होंगे. यह सिंहासन 25 इंच लंबा, 15 इंच चौड़ा और 30 इंच ऊंचा है. इस सिंहासन के पीछे सूर्यदेव की मुखाकृति अंकित है.

आपको बता दें कि राम जन्मभूमि परिसर का समतलीकरण होना है, जिसके बाद मंदिर निर्माण की प्रक्रिया शुरू की जाएगी. निर्माण प्रक्रिया शुरू होने से पहले तकनीकी स्तर पर कई कार्य होने बाकी हैं. रामलला का अस्थायी गर्भगृह में शिफ्ट करने का कार्य मंदिर निर्माण के पहले चरण की शुरुआत माना जा रहा है.

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महामंत्री चंपत राय ने कहा है कि मंदिर निर्माण का पहला चरण प्रारंभ हो गया है. अस्थायी गर्भगृह में भगवान रामलला विराजमान होंगे. उनके लिए एक नया घर बनाया गया है जो कनक भवन से बहुत सुंदर है. जब दर्शनार्थी आएंगे तो उन्हें पता चलेगा.

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