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राम मंदिर आंदोलन में जान गंवाने वाले कोठारी बंधुओं की बहन बोलीं, भाइयों ने राम मंदिर के रूप में दिया सबसे बड़ा उपहार - Ram temple movement Kothari brothers

राम मंदिर आंदोलन में अपनी जान गवाने वाले कोठारी बन्धुओं की बहन पूर्णिमा कोठारी रक्षाबंधन पर रामलला के दर्शन करने राम मंदिर पहुंची. पूर्णिमा कोठारी ने कहा कि उनके भाइयों ने राम मंदिर के रूप में उन्हें सबसे बड़ा उपहार दिया है.

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कोठारी बन्धुओं की बहन पूर्णिमा कोठारी ने भाईयों को किया याद

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 30, 2023, 9:24 PM IST

कोठारी बन्धुओं की बहन पूर्णिमा कोठारी मीडिया से बातचीत करते हुए

अयोध्या: धर्मनगरी अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण के लिए चल रहे आंदोलन में 2 नवंबर सन 1990 को सुरक्षा कर्मियों की गोली का शिकार होकर अपने प्राण गंवाने वाले राम कुमार कोठारी और शरद कोठारी की बहन पूर्णिमा कोठारी बुधवार को रामलाल का दर्शन पूजन करने पहुंची. इसके बाद मीडिया से बातचीत करते हुए पूर्णिमा कोठारी ने कहा कि उनके जीवित रहते रामलला का मंदिर बन रहा है. इससे बड़ी खुशी की बात दूसरी कोई नहीं हो सकती. उनके परिवार ने हिंदू समाज और रामलला के लिए जितनी बड़ी कुर्बानी दी है, उसका प्रतिफल आज दिखाई दे रहा है. उन्होंने अपने परिवार के सदस्यों को जरूर खोया. लेकिन, आज भगवान का मंदिर बनता देख आत्मा को संतुष्टि है.

राम मंदिर आंदोलन में जान गंवाने वाले कोठारी बंधु.

रामलला के लिए अपना जीवन बलिदान कर मुझे दिया रक्षाबंधन का उपहार: रक्षाबंधन के दिन रामनगरी में मौजूद शहीद रामकुमार कोठारी और शरद कुमार कोठारी की बहन पूर्णिमा कोठारी भावुक दिखी. उन्होंने कहा कि रक्षाबंधन के दिन आज हमारे दोनों बड़े भाई इस दुनिया में नहीं है. इस बात का दर्द आजीवन रहेगा. लेकिन, इस दुनिया में ना रहते हुए भी उनके दोनों भाइयों ने एक बहन को आजीवन रक्षाबंधन का उपहार अपनी शहादत देकर दिया है. आज भगवान राम का मंदिर बन रहा है. यही उनके लिए उनके भाइयों की तरफ से दिया गया रक्षाबंधन का सबसे बड़ा उपहार है. पूर्णिमा कोठारी ने कहा कि मेरे भाइयों की शहादत हमारे परिवार की निजी क्षति थी. लेकिन, आज उसके बदले पूरे हिंदू समाज और राम भक्तों को भगवान राम का मंदिर निर्माण होता दिखाई दे रहा है. यह सबसे प्रसन्नता का विषय है.

बाबरी मस्जिद का गुंबद ढहाते कारसेवक (फाइल फोटो)
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राम मंदिर आंदोलन में शहादत देने वालों की याद में बनाया जाए स्मारक स्थल:अयोध्या में चल रहे भव्य राम मंदिर निर्माण के बीच मंदिर परिसर के पास ही एक स्मारक स्थल और म्यूजियम बनाने के सवाल पर पूर्णिमा कोठारी ने कहा कि निश्चित रूप से आने वाली पीढ़ियों को इस बात का पता चलना चाहिए कि राम मंदिर और रामलला का हक दिलाने के लिए राम भक्तों ने कितना बड़ा बलिदान दिया है. मंदिर परिसर के पास जब शहीद कार सेवकों के नाम पर स्मारक स्थल और एक म्यूजियम होगा तो श्रद्धालुओं को पूरे राम मंदिर आंदोलन की जानकारी मिलेगी. इससे आने वाली पीढ़ी निश्चित रूप से सही जानकारी पा सकेगी.

बाबरी मस्जिद (फाइल फोटो)
विवादित ढांचे पर राम ध्वज लहराने वाले पहले दो व्यक्ति थे कोठारी बंधु: बता दें कि21 से 30 अक्टूबर 1990 तक अयोध्या में लाखों की संख्या में कारसेवक पहुंचे थे. सब विवादित स्थल की ओर जाने की तैयारी में थे. अयोध्या में लगे कर्फ्यू के बीच सुबह करीब 10 बजे चारों दिशाओं से बाबरी मस्जिद की ओर कारसेवक बढ़ने लगे. इनका नेतृत्व अशोक सिंघल, उमा भारती, विनय कटियार जैसे नेता कर रहे थे. विवादित स्थल के चारों तरफ और अयोध्या शहर में यूपी पीएसी के करीब 30 हजार जवान तैनात किए गए थे. इसी दिन बाबरी मस्जिद के गुंबद पर शरद कोठारी (20 साल) और रामकुमार कोठारी (23 साल) नाम के भाइयों ने भगवा झंडा फहराया. 2 नवंबर 1990 को दोनों भाई सुरक्षा कर्मियों की गोली के शिकार हुए थे. दोनों भाई आज शहीद गली के नाम से मशहूर लाल कोठी मार्ग पर गोली लगने के कारण मारे गए थे. 4 नवंबर को दोनों भाइयों का अयोध्या के सरयू तट पर अंतिम संस्कार किया गया था. जिसमें हजारों लोग शामिल हुए थे.

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