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महाराजा दशरथ की समाधि स्थल का भी हो रहा कायाकल्प, स्मरण मात्र से ही पूरी हो जाती है हर मुराद

अयोध्या में राम मंदिर के साथ महाराजा दशरथ की समाधि स्थल (Dasharatha grave site Development) का भी विकास कराया जा रहा है. धार्मिक और पौराणिक मान्यताओं वाला यह स्थल कई वर्षों से उपेक्षित रहा है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 12, 2024, 9:21 AM IST

अयोध्या :9 नवंबर 2019 को सर्वोच्च अदालत की ओर से सुनाए गए फैसले के बाद रामनगरी में भव्य राम मंदिर का निर्माण हो रहा है. इसी कड़ी में भगवान राम के पिता महराजा दशरथ की समाधि स्थल का भी कायाकल्प कराया जा रहा है. प्रभु श्रीराम के वन जाने के बाद राजा दशरथ ने पुत्र वियोग में अपने प्राण त्याग दिए थे. इसके बाग बिल्वहरि घाट के समीप उनकी समाधि बनाई गई थी. लंबे समय से इस पौराणिक स्थल की अनदेखी हो रही थी. अब यहां की तस्वीर भी बदलने लगी है. यह स्थल कई मायने में खास है. इससे कई पौराणिक मान्यताएं जुड़ी हैं.

पूरी होती हैं सभी मुराद :चक्रवर्ती सम्राट राजा दशरथ की समाधि स्थल का वर्णन पुराणों में भी है. ऐसी मान्यता है कि यहां मांगी गई सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. पूरा बाजार ग्राम पंचायत के उत्तर दिशा में धार्मिक, पौराणिक इतिहास समेटे बिल्वहरि घाट के समीप राजा दशरथ की समाधि स्थली व भव्य मंदिर है .मान्यता यह भी है कि इस समाधि स्थल पर पूजन-अर्चन करने वाले साधकों को शनि की साढ़ेसाती जैसी महादशा के प्रकोप से छुटकारा मिल जाता है. अनेक धार्मिक व पौराणिक मान्ताओं वाले दशरथ समाधि स्थल की पूर्ववर्ती सरकारों ने सुधि नहीं ली, लेकिन जब योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भाजपा सरकार बनी तो अयोध्या के साथ ही इस स्थल के जीर्णोद्धार का मार्ग प्रशस्त हो गया.

समाधि स्थल का कायाकल्प कराया जा रहा है.

दशरथ कृत शनि स्तोत्र पाठ से मिलती है कष्टों से मुक्ति :राम जन्मभूमि से लगभग 15 किमी दूर इस स्थान का प्रथम चरण में सुदृढ़ीकरण व सौंदर्यीकरण कराया गया है. द्वितीय चरण में भी योगी सरकार यहां विकास के लिए कार्ययोजना तैयार की जा रही है. इससे पूर्व राजा दशरथ की समाधि स्थली की अनदेखी की जाती रही. पद्मपुराण में भी दशरथ समाधि स्थल के आध्यात्मिक महत्व का वर्णन है. कहा गया है कि जो भी मनुष्य एक बार यहां आकर दर्शन करके दशरथ कृत शनि स्तोत्र का पाठ व स्मरण करता है उसे शनिजन्य कष्टों से मुक्ति मिलती है. यहां विद्यमान कर्मफल दाता शनिदेव का एक विलक्षण विग्रह भी विद्यमान है. इसके दर्शन मात्र से ही साढ़ेसाती, ढैय्या समेत सभी प्रकार के शनिजन्य कष्टों से मुक्ति मिल जाती है. यह भी दावा किया जाता है कि एक बार जो यहां आकर शनिदेव के इस अनोखे विग्रह का दर्शन कर राजा दशरथ द्वारा कृत शनि स्तोत्र का स्मरण-पठन करता है उसे जीवनपर्यंत शनि की शुभ दृष्टि व कृपा प्राप्त होती है.

समाधि स्थल से पौराणिक मान्यताएं जुड़ी हैं.

गुरु वशिष्ठ से निर्देश लेकर महाराज भरत ने किया था दाह संस्कार :समाधि स्थल के उत्तराधिकारी संदीप दास जी महाराज के मुताबिक यहां चारों भाइयों की चरण पादुका, पिंड वेदी, गुरु वशिष्ठ का चरण चिह्न, प्राचीन ऐतिहासिक अस्त्र-शस्त्र मौजूद हैं. जिसमें आज तक जंग नहीं लगी. यहां दशरथ जी, भरत व शत्रुघ्न और गुरु वशिष्ठ की प्रतिमा विद्यमान है. उन्होंने बताया कि भरत ने राजा दशरथ के निधन के उपरांत पूछा कि यहां सबसे पवित्र स्थल कौन है, जहां दशरथ जी का दाह संस्कार हो सके, तब गुरु वशिष्ठ के नेतृत्व में इस जगह का चयन किया गया.अयोध्या में प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम के मद्देनजर योगी सरकार इस स्थली पर भी अनेक आयोजन भी कराएगी. यहां भी सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे. रामलीला, भजन-संकीर्तन, विशिष्ट कलाकारों की तरफ से अनेक कार्यक्रम व अनुष्ठान आदि का कार्यक्रम होगा. इसके लिए संस्कृति व पर्यटन विभाग के अधिकारी खाका तैयार कर रहे हैं.

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