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रामनगरी में इस दुकान की रबड़ी खाते हैं रामलला, पीते हैं दूध, 65 साल से कायम है परंपरा, पढ़िए डिटेल - राम मंदिर निर्माण

अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में अब कुछ ही दिन शेष रह गए हैं. इसी के साथ रामलला से जुड़ी कई अनोखी मान्यताएं और परंपराएं (Ramlala Rabdi Bhog) भी सामने आने लगीं हैं.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 14, 2024, 6:28 AM IST

रामलला को रबड़ी का भोग लगाया जाता है.

अयोध्या : राम के नाम की हर ओर गूंज है. हर ओर बस एक ही जयकारा लग रहा है. अयोध्या भगवान राम के स्वागत को तैयार है. इस बीच एक खुशी उनके चेहरे पर भी देखने को मिल रही है, जिनके घर से रामलला के लिए रबड़ी का भोग जाता है. देशी घी, खोआ के साथ ही दूध भेजा जाता है. जी हां! हम बात कर रहे हैं सीताराम यादव जी की, जिनके नाम में ही माता सीता और प्रभु राम का नाम है. सीताराम बताते हैं कि जब अयोध्या में कर्फ्यू लगा हुआ था तब भी रामलला के लिए हमारे यहां से भोग जाया करता था. आज तीसरी पीढ़ी इस काम में लगी हुई है.

भगवान राम के काम के लिए अयोध्या वासी खुद को समर्पित कर चुके हैं. जब से राम मंदिर का संघर्ष शुरू हुआ और आज तक कई परिवारों की कई पीढ़ियां राम की सेवा में लगी हुई हैं. राम नाम ही इतना ऊर्जावान है कि हर कोई उनके लिए अपनी आने वाली कई पीढ़ियों को उनकी सेवा में लगाने को तैयार है. इन्हीं में से एक नाम सीताराम यादव जी का है. इनके पिताजी पहले प्रभु राम के लिए रबड़ी का भोग पहुंचाते थे. अब सीताराम जी रामलला के लिए भोग पहुंचाते हैं. अब इनकी बेटी भी इस काम में इनका साथ दे रही हैं.

कई वर्षों से कायम है परंपरा.

भेजी जाती है 25 किलो घी, 5 किलो रबड़ी :सीताराम बताते हैं कि, आज भी रामलला के लिए भोग पहुंचाने का काम किया जाता है. अलग-अलग त्योहारों पर भी कई तरह के भोग भेजे जाते हैं. हमारे यहां से महीने में 25 किलो घी, सुबह पांच किलो रबड़ी, ढाई किलो पेड़ा, शाम को साढ़े तीन लीटर दूध भेजा जाता है. सुबह का दूध जाता था, लेकिन वह अभी बंद है. इसके साथ ही पंजीरी हमारे ही यहां से रामलला के आयोजनों में भेजी जाती है. उन्होंने बताया कि, अभी प्राण प्रतिष्ठा को लेकर कोई विशेष ऑर्डर हमको नहीं मिला है. अगर कोई ऑर्डर मिलता है तो जरूर पूरा करेंगे.

रामलला को लगता है रबड़ी का भोग.

पुलिस सुरक्षा में लगता था रामलला को भोग :वे कहते हैं, 'भगवान जब प्रकट हुए थे तब विवाद बढ़ा था. हमारी दुकान रामजन्मभूमि में ही थी. हालांकि विवाद के बीच रामलला को भोग लगना बंद नहीं हुआ. पुलिस की सुरक्षा अयोध्या के चप्पे-चप्पे पर थी. उस दौर में हम पुलिस सुरक्षा में रामलला को भोग पहुंचाते थे. तब से लेकर आज तक हमारे यहां से ही रामलला को भोग पहुंचाया जाता है. इस काम में हमारी तीन पीढ़ी लगी है. पिताजी के बाद मैंने भोग पहुंचाना शुरू किया. अब हमारी बेटी भी हमारे साथ इस काम में लगी है.

कैसे बनाते हैं रबड़ी :दूध को काफी देर तक उबाला जाता है, दूध को लच्छा बनने तक पकाया जाता है, दूध की काफी मोटी परत बन जाती है. इसके बाद इसमें फिर चीनी मिलाई जाती है.

ऐसे बनता है रामलला के लिए पेड़ा :रबड़ी की तरह ही दूध को देर तक उबाला जाता है. दूध की मोटी परत बनने तक उबाला जाता है. सफेद रंग से हल्का भूरा रंग होने तक दूध चलाया जाता है, जिस प्रक्रिया में यह खोआ बन जाता है. दूध उबलने के दौरान ही चीनी मिला दी जाती है. खोआ बनने के बाद इससे पेड़ा बनाया जाता है.

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