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साल 1992 में बंदूक की सुरक्षा के बीच रामलला खाते थे बनारसी मगही पान, अब प्राण प्रतिष्ठा पर पनवाड़ी को मिला बड़ा ऑर्डर

रामनगरी में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का दिन काफी करीब आ चुका है. रामलला की कई कहानियों से लोग वाकिफ होंगे. इन्हीं में एक कहानी रामलला के पान (Ramlala Banarasi Magahi Paan) के भोग से भी जुड़ी है. राम मंदिर आंदोलन से लेकर अब तक एक परिवार रामलला के लिए खास पान भेजता रहा है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 13, 2024, 8:16 AM IST

कई वर्षों से रामलला को लगता है पान का भोग.

अयोध्या :अयोध्या में 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होनी है. यह मौका सैकड़ों सालों के इंतजार और रामभक्तों के बलिदान के बाद आया है. रामलला के साथ कई रोचक कहानियां जुड़ी हैं, जो राममंदिर आंदोलन से लेकर अब तक चली आ रहीं हैं. इन्हीं में से एक किस्सा बनारसी मगही पान का भी है. रामलला को हमेशा से ही पान का भोग लगता रहा है. साल 1992 में बंदूकों के साए और पुलिस की कड़ी सुरक्षा में भगवान के लिए पान जाता था. शहर का एक परिवार कई पीढ़ियों से आज भी इस जिम्मेदारी हो उठा रहा है. अब रामलला की प्राण प्रतिष्ठा पर इस परिवार को रामलला के भोग के लिए 551 पान का ऑर्डर मिला है.

रामलला को लगता है खास पान का भोग.
ईटीवी भारत की टीम अयोध्या के नया घाट की तरफ से होती हुई हनुमान गढ़ी के पास पहुंची. टीम हनुमान गढ़ी की गलियों से होते हुए विनय चौरसिया की पान की दुकान पर पहुंची. इस दौरान यहां के नजारे में काफी बदलाव नजर आया. यहां नई दुकानें दिखाई दीं. सड़कें चौड़ी कर दी गईं हैं. आने-जाने के लिए संकरी गलियां अब नहीं मिलने वाली हैं. ये रास्ता सीधे हनुमान गढ़ी के दरवाजे तक जाता है. टीम हनुमान गढ़ी से थोड़ी ही दूरी पर स्थित विनय चौरसिया की पान की दुकान पर पहुंची. विनय अपनी दुकान पर ग्राहकों को पान देने और अन्य सामग्री देने में व्यस्त थे. हमने उनसे रामलला के भोग के बारे में बात की तो वे उत्साहित हो गए. उन्हीं का परिवार कई पीढ़ियों से रामलला के भोग के लिए बनारसी मगही पान भेजता आ रहा है.
राम मंदिर आंदोलन से ही दुकान से जाता है खास पान.

दी जाती थी पुलिस के साथ बंदूकों की सुरक्षा :पनवाड़ी विनय ने बताया कि साल 1992 की बात है. कर्फ्यू पूरी अयोध्या में लगा हुआ था. पिताजी उस समय भगवान रामलला लिए पान का भोग लेकर जाते थे. तब उनके साथ पुलिस के साथ बंदूकों की सुरक्षा जाती थी. इसके बाद भगवान रामलला का भोग लगता था. भगवान रामलला को पान का भोग पहुंचाने वाले विनय चौरसिया बताते हैं. ये कहानी सुनने में तो हमें आसान लग सकती है, लेकिन अगर सोचें तो उस समय का माहौल कितना भयावह रहा होगा. प्रशासन सुरक्षा मुहैया कराता था. पनवाड़ी पान लेकर जाते और उन्हें सुरक्षा के साथ वहां पहुंचाया जाता था.

रामलला के लिए तीन पीढ़ियों की सेवा :विनय बताते हैं, 'हमारे दादाजी गंगा प्रसाद चौरसिया और उनके बाद पिताजी अमरीश प्रसाद चौरसिया रामलला के लिए पान का भोग लेकर जाते थे. हम तीसरी पीढ़ी हैं. 1992 में पिताजी रामलला के लिए भोग लेकर जाया करते थे. हमारी दुकान रामजन्मभूमि के पास में ही थी तो आने-जाने में समय नहीं लगता था. अगर कोई असुविधा होती थी तो वहां का प्रशासन हम लोगों को कवर करता था, जिससे कि रामलला को कोई असुविधा न हो और उन्हें भोग लगता रहे. कोरोना काल के समय भी हमें ऐसी ही सुविधा मिलती थी. जब माहौल ठीक नहीं था तो उस समय प्रशासन हमें वहां जाने की इजाजत देता था. अब मंदिर बन रहा है तो हमारे परिवार को बेहद खुशी हो रही है.'

प्राण प्रतिष्ठा के लिए मिला है 551 पान का ऑर्डर : विनय ने बताया किजब भूमिपूजन हुआ था तब हम लोगों ने 151 पान का भोग दिया था. प्राण प्रतिष्ठा की भी तैयारी चल रही है. इसको लेकर हम लोगों को ऑर्डर मिल चुका है. हमें प्राण प्रतिष्ठा के दिन 551 पान देने का ऑर्डर मिला हुआ है. उस दिन का पान भी अच्छा ही रहेगा. उसमें गुलकंद रहेगा, करौंदा रहेगा, रौंफ रहेगा, चेरी, मीठी सौंफ के साथ ही लौंग-इलाइची रहेगा. इसके साथ ही केसरयुक्त चांदी का वर्क भी रहेगा. हमने इसके लिए ऑर्डर दे दिया है. कुछ सामान आ चुका है और अभी कुछ सामान आना बाकी है. हम इसके लिए ऑर्डर देते रहते हैं.'

रामलला के लिए तैयार होता है मगही पान :विनय बताते हैं, 'रामलला के भोग के लिए लगभग हर हफ्ते हमारे पास इसका सामना आता रहता है. प्राण प्रतिष्ठा के दो दिन पहले हमारा सामान मिल जाएगा. रामलला का भोग सुबह के समय जाता है. आरती का समय साढ़े बारह बजे का है. हमें इससे पहले भोग पहुंचाना रहता है. आरती के बाद रामलला का भोजन होता है. उसके बाद उन्हें मीठे पान का भोग लगाया जाता है. भगवान बाल अवस्था में हैं तो उन्हें मीठे पान का भोग लगाया जाता है. इसमें गुलकंद, चेरी, सौंफ, गरी, मीठी सौंफ, ग्रीन सौंफ. सुपारी की मात्रा एक ही दाना रखते हैं, क्योंकि भगवान बाल स्वरूप में हैं. पान में लौंग, इलायची मिलाकर करौंदा लगाकर भोग के लिए पान देते हैं. हमारे पास बनारसी पान होता है. हम भगवान रामलला के लिए मगही पान भोग के लिए देते हैं.'

अयोध्या के महत्वपूर्ण मंदिरों में जाता है पान :विनय चौरसिया बताते हैं, रामलला के साथ ही अयोध्या महत्वपूर्ण मंदिरों में हमारे यहां से पान जाते हैं. हनुमान गढ़ी, कनक भवन, दशरथ महल, छोटी देवकाली जो सीताजी की कुलदेवी हैं उनके यहां भी हमारे यहां पान जाता है.' बता दें कि रामलला जनवरी की 22 तारीख को अपने महल में विराजमान हो जाएंगे. इसको लेकर पूरी अयोध्या उत्साहित दिख रही है. पूरी अयोध्या राममय हो चुकी है. रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए उनके आराध्य महादेव की नगरी वाराणसी से पूजन सामग्री से लेकर भोग-प्रसाद के लिए मेवे मंगाए गए हैं. वहीं सबसे खास जो है वह है रामलला का पान का भोग. बनारस का मगही पान उनके लिए भोग में बनाया जाता है.

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