अयोध्या : अयोध्या में 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होनी है. इसी के साथ राम मंदिर का भी शुभारंभ हो जाएगा. मंदिर के लिए कई वर्षों तक रामभक्तों ने आंदोलन चलाया. अब यह सपना साकार होने से रामभक्त काफी उत्साहित हैं. इसी के साथ राम मंदिर आंदोलन से जुड़ी कई यादें भी ताजा होने लगी हैं. ईटीवी भारत ने इस मुद्दे पर राम जन्मभूमि आंदोलन के अगुवा संत रहे डॉ. राम विलास वेदांती से खास बातचीत. उन्होंने बताया कि हिंदुओं में जागृति तो सन 1984 में ही आ गई थी, जब राम-जानकी रथ चला था. देश में हिंदू जागरण का अभियान हमारे संतों ने चलाया था. महंत अवैद्यनाथ की अगुवाई में हम सब लोगों ने जो अथक परिश्रम किया था, उसी का परिणाम आज राम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण से रूप में दिखाई दे रहा है. हम सब लोगों ने इसके लिए अथक परिश्रम किया. देश-विदेश का दौरा किया. 25 बार गिरफ्तारी हुई. अयोध्या में जब भी कोई कार्यक्रम होता था तो सबसे पहले हमें जेल भेजा जाता था. आज जब रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है तो वह यातना भूल गई है. आज जो होने जा रहा है, उसकी कल्पना किसी को नहीं थी.
प्रश्न : चूंकि आप राजनीति में भी रहे हैं. पूर्व सांसद हैं, इसलिए हम आपसे एक राजनीतिक सवाल का जवाब भी जानना चाहेंगे. देश के सभी विपक्षी दल भाजपा के खिलाफ एकजुट होकर उसे सत्ता से बेदखल करना चाहते हैं. आप इस पर क्या सोचते हैं?
उत्तर : देश की जनता भाजपा और मोदी जी के साथ है. देश आतंकवाद को चुनता है या राष्ट्रवाद को चुनता है. आपने देखा होगा कि जब इजराइल और हमास का युद्ध प्रारंभ हुआ तो कांग्रेस ने अपनी पार्टी की बैठक कर निर्णय किया कि उसे आतंकवादियों का समर्थन करना है. सभी विपक्षी दलों ने हमास का समर्थन किया. केवल भाजपा इजराइल के साथ खड़ी हुई. भाजपा राष्ट्रवाद पर विश्वास करती है. जो मोदी जी ने किया है, वह अब तक कोई प्रधानमंत्री नहीं कर पाया है.