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अयोध्या: जांच रिपोर्ट में खुलासा, गुमनामी बाबा नहीं थे नेताजी सुभाष चंद्र बोस - उत्तर प्रदेश समाचार

उत्तर प्रदेश के अयोध्या के शक्ति सिंह की ओर से गुमनामी बाबा की असल पहचान उजागर करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर अभी तक फैसला नहीं हुआ है. याचिकाकर्ता शक्ति सिंह का कहना है कि सिर्फ बयानों के आधार पर यह कह दिया कि गुमनामी बाबा नेताजी सुभाष चंद्र बोस नहीं थे.

गुमनामी बाबा नहीं थे नेताजी सुभाष चंद्र बोस.

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Published : Jul 25, 2019, 11:36 PM IST

Updated : Jul 26, 2019, 9:10 AM IST

अयोध्या: जिले के शक्ति सिंह ने गुमनामी बाबा की असल पहचान उजागर करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. नेताजी सुभाष चंद्र बोस को लेकर एक बार फिर से कई रहस्य इतिहास के पन्नों से निकलकर सामने आने को तैयार हैं. मंगलवार को कैबिनेट की बैठक में यह निर्णय लिया गया कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस और गुमनामी बाबा के रहस्य की जांच करने वाली जस्टिस विष्णु सहाय आयोग की रिपोर्ट को विधानसभा में रखा जाएगा. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर बनीं हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज विष्णु सहाय की अध्यक्षता में गठित एक सदस्य ने यह भी कह दिया कि सुभाष चंद्र बोस फैजाबाद के गुमनामी बाबा नहीं थे.

गुमनामी बाबा नहीं थे नेताजी सुभाष चंद्र बोस.
  • याचिकाकर्ता शक्ति सिंह के घर में ही गुमनामी बाबा रहा करते थे.
  • अपने जीवन के अंतिम समय में गुमनामी बाबा ने राम भवन के कमरे में अपना वक्त बिताया था.
  • तब से लेकर आज तक शक्ति सिंह गुमनामी बाबा की असल पहचान उजागर करने की मांग को लेकर संघर्ष करते चले आए हैं.
  • हाल ही में सुभाष चंद्र बोस की पौत्री ने भी इस मामले पर पूर्व की कांग्रेस सरकार को घेरा था.
  • ईटीवी से खास बातचीत में उन्होंने कहा कि कांग्रेस नहीं चाहती थी कि इस रहस्य से पर्दा उठे.

याचिकाकर्ता शक्ति सिंह ने कहा कि जस्टिस सहाय आयोग की इस रिपोर्ट का कोई मतलब नहीं है. न्यायालय ने यह निर्देशित किया था की वैज्ञानिक रूप से आयोग यह बताएं कि आखिरकार गुमनामी बाबा कौन थे और 276 आर्टिकल के जिस व्यक्ति के पास से संबंधित पेपर मिले, उस व्यक्ति की पहचान क्या थी. जो व्यक्ति जिला प्रशासन और पुलिस की निगरानी में फैजाबाद के राम भवन में रहता था वह व्यक्ति कौन था. इस सवाल से आज भी पर्दा नहीं उठ सका है और हमारा सवाल शुरू से यही रहा कि सरकार और जांच एजेंसियां यह स्पष्ट करें कि गुमनामी बाबा आखिर कौन थे.

जस्टिस विष्णु सहाय आयोग ने अपनी जांच में न ही कोई डीएनए टेस्ट कराया न ही कोई वैज्ञानिक परीक्षण. सिर्फ बयानों के आधार पर अपनी रिपोर्ट बना दी और उसमें यह कह दिया कि गुमनामी बाबा नेताजी सुभाष चंद्र बोस नहीं थे. हमने पहले भी यह नहीं कहा था कि गुमनामी बाबा नेताजी सुभाष चंद्र बोस थे. हमारा सवाल सिर्फ इतना ही था कि नेता जी सुभाष चन्द्र बोस के जीवन से जुड़े तमाम रहस्यों को अपने में समेटे फैजाबाद के राम भवन में रहने वाला व्यक्ति आखिरकार कौन था. सरकार और न्यायालय द्वारा गठित जांच एजेंसियां इस रहस्य से पर्दा कब उठाएगी.
-शक्ति सिंह, याचिकाकर्ता

Last Updated : Jul 26, 2019, 9:10 AM IST

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