अयोध्या: राम नगरी के लिए 5 अगस्त का दिन बेहद अहम है. इस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों भव्य राम मंदिर की आधारशिला के साथ कई सौगात मिल सकती है. भगवान राम की जन्मस्थली पर राम मंदिर की शुरुआत से पहले अयोध्या के समग्र विकास की कई महत्वाकांक्षी योजनाओं पर कार्य किया जा रहा है. जनपद को संवारने के लिए 300 करोड़ रुपये परिक्रमा मार्ग के विकास और सुंदरीकरण के लिए खर्च किए जाने हैं. परिक्रमा मार्ग पर पुलों का निर्माण किया जाएगा. वहीं अयोध्या को चित्रकूट से जोड़ने के लिए 165 किलोमीटर लंबी सड़क प्रस्तावित है.
जिले में पर्यटन की बढ़ती संभावनाओं को देखते हुए राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण आसपास के इलाके में बड़े पैमाने पर अत्याधुनिक आधारभूत ढांचे की तैयारी कर रहा है. 5 अगस्त के दिन अयोध्या के समग्र विकास के लिए 1 हजार करोड़ की 51 परियोजनाओं का शिलान्यास किया जाना है. शिलान्यास की जाने वाली इन योजनाओं में जनपद के माझा बरेठा ग्राम सभा में स्थापित होने वाली भगवान राम की सबसे ऊंची 251 मीटर प्रतिमा का प्रोजेक्ट भी शामिल है. यह गांव अयोध्या के निर्माणाधीन अंतरराष्ट्रीय बस टर्मिनल के समीप स्थित है.
गांव में नहीं पहुंची विकास की परछाईं
अयोध्या में प्रस्तावित विकास कार्यों के पूरा होने के बाद शहर की चकाचौंध में माझा बरेठा के ग्रामीण अपने अस्तित्व को बचाने की जद्दोजहद में जुटे हैं. ग्राउंड रिपोर्ट यह सोचने पर मजबूर कर देगी कि किस प्रकार एक ग्रामसभा को, जहां विकास की परछाईं तक नहीं पहुंची, उसे नगर निगम का क्षेत्र घोषित किया जाता है. इसके बाद ग्रामीणों को उनकी जमीन और घर का अधिग्रहण करने का फरमान सुना दिया जाता है. वर्तमान में अयोध्या के नगर निगम क्षेत्र में स्थित माझा बरेठा के ग्राम सभा में एक छोटा सा क्षेत्र नेऊर का पुरवा है. इस गांव के पूरी आवासीय जमीन अधिग्रहित करने की नोटिस जारी हुई. प्रशासन के नोटिस की खबर होते ही पूरे गांव में खलबली मच गई. ग्रामीणों को उनका पक्ष रखने का भी समय दिया गया. 28 जनवरी को ग्रामीणों ने अपनी आपत्ति हाईकोर्ट में की. कोर्ट से भूमि अधिग्रहण कानून 2013 के तहत जमीन का अधिग्रहण करने का आदेश हुआ. भगवान राम की सबसे ऊंची प्रतिमा और म्यूजियम के लिए जिस गांव की जमीन का अधिग्रहण होना है वहां लोग कई पीढ़ियों से रह रहे हैं. देश की आजादी के बाद से अब तक इस गांव का बंदोबस्त तक नहीं हुआ, जिसके कारण किसानों को उनकी जमीन का मालिकाना हक भी कानूनी तौर पर नहीं मिल पाया. ऐसे में ग्रामीणों के सामने संकट है. वे कानूनी तौर पर स्वयं अपने खून पसीने की कमाई से बने घर की जमीन पर भी अपना दावा मजबूती से नहीं रख पा रहे हैं. अपनी समस्या को लेकर ग्रामीण दोबारा 16 जून को हाई कोर्ट गए तो अदालत ने प्रशासन को बंदोबस्त करने का आदेश दिया. बंदोबस्त की प्रक्रिया के साथ किसानों को उनकी कृषि की भूमि, पशु, पेड़-पौधे आवासीय भूमि इत्यादि की सूचना दर्ज होगी.