अयोध्याःभगवान श्री राम की नगरी अयोध्या में सरयूतट पर स्थित मोहल्ला स्वर्गद्वार में दूर-दूर से मानसिक रोगियों को उनके परिजन लेकर आते हैं. मान्यता है कि यहां एक गली है, जहां आने पर मानसिक रोगी अपने-आप ठीक हो जाते हैं. पहले के समय में परिजन रोगियों को अयोध्या लाकर इस मोहल्ले में घुमाया करते थे. मोहल्ले में वह गली कौन सी है यह तो आज कोई नहीं जानता पर मोहल्ले में मानसिक रोगियों को आज भी लाया जाता है. हालांकि यह प्रथा आज के वैज्ञानिक युग में बदली जरूर है पर उसका वजूद बरकरार है.
अति प्राचीन मोहल्ला है स्वर्गद्वार
अयोध्या में स्थित मोहल्ला स्वर्गद्वार अति प्राचीन माना जाता है. त्रेता युग की अयोध्या में मोहल्ला स्वर्गद्वार अति प्राचीन माना जाता है. सरयूतट के किनारे बसा यह मोहल्ला न केवल नागेश्वरनाथ मंदिर, चंद्रहरि मंदिर, लक्ष्मणघाट शेषा अवतार मंदिर सहित अनेकों विशिष्ट मंदिरों से युक्त है. बल्कि इसकी गलियां भी अत्यंत महत्वपूर्ण हैं. इस मोहल्ले के भीतर सैकड़ों गलियां बहुत ही टेढ़ी-मेढ़ी वह पतली हैं. कई गलियां तो ऐसी हैं कि यहां रहने वाले लोग भी जीवन में शायद ही कभी वहां से गुजरते हों. स्वर्गद्वार के भीतर एक ऐसी गली है, जहां के बारे में कहा जाता है कि यहां पहुंचकर मानसिक रोगी स्वस्थ हो जाते हैं. यह मान्यता बहुत पुराने समय से चली आ रही है. लोगों ने इसके बारे में अपने बुजुर्गों से सुना है. यहां के कई बुजुर्गों ने इसे बचपन में देखा है. यहां के बुजुर्ग बताते हैं कि पहले मानसिक रूप से अस्वस्थ रोगियों को जंजीरों या रस्सी में बांधकर इस मोहल्ले में लाकर घुमाया करते थे. पीढ़ियों से इस मोहल्ले में रहने वाले डॉक्टर पद्माकर पांडे भाई जी इस वार्ड के पार्षद रहे हैं. वे आयुर्वेद के चिकित्सक हैं और इसी वार्ड में अपनी क्लीनिक दशकों से चला रहे हैं. उनके पिता और पितामह भी इसी सेवा कार्य से जुड़े हुए थे. डॉक्टर पद्माकर पांडे कहते हैं कि उनकी उम्र 60 साल है और उन्होंने बचपन में देखा है कि लोग मानसिक रूप से अस्वस्थ रोगियों को जंजीरों या रस्सी में बांधकर इस मोहल्ले में लाकर घुमाया करते थे. अब भी लोग मानसिक रूप से अस्वस्थ लोगों को इस मोहल्ले में छोड़ जाते हैं.