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पंचायत चुनाव की तारीखों का ऐलान, जानिए क्या है इस चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा - Benefit of toilet from government scheme

आस्था और अध्यात्म की नगरी अयोध्या जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में प्रथम चरण का पंचायत चुनाव का मतदान 15 अप्रैल को होना है. इसके लिए प्रत्याशी 2 अप्रैल से अपना नामांकन दाखिल करेंगे. पंचायत चुनाव में तारीखों का ऐलान होने के साथ ही गांव के गलियारों में सियासी पारा चढ़ गया है. हमने गांव के लोगों से बात कर यह जानने की कोशिश की कि आखिरकार इस बार के चुनाव में उनका मतदान करने का आधार क्या होगा और किन मुद्दों पर वोट पड़ेंगे.

जानिए क्या है इस चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा
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Published : Mar 30, 2021, 8:33 AM IST

अयोध्या: हम अयोध्या जिले के एक गांव की उस हकीकत से रूबरू कराएंगे जो लगभग प्रदेश के हर गांव का कुछ ऐसा ही हाल है. पंचायत चुनाव की तारीखों का ऐलान होने के साथ गांव की पंचायत में सियासत भी गरमा रही है. बीते 5 वर्षों में गांव में बिजली-पानी-सड़क और रोजगार जैसी मूलभूत जरूरतों पर कुछ काम हुआ या फिर जुबानी जमा खर्च के नाम पर नेताजी वादों की बारात लेकर फिर से जनता की दहलीज पर दस्तक दे रहे हैं. ईटीवी भारत की टीम ने गांव की पगडंडियों और खेत की मेड़ पर बैठे किसानों से बातचीत की और यह जानने की कोशिश की, कि इस बार गांव की पंचायत का चुनाव किस मुद्दे पर होने जा रहा है.

जानिए क्या है इस चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा
बिजली-पानी जैसी मूलभूत जरूरतें नहीं हुईं पूरीअयोध्या जिला मुख्यालय से तकरीबन 25 किलोमीटर दूर पूरा बाजार के सनेथू गांव में दलित और पिछड़े वर्ग की मिश्रित आबादी है. गांव के रहने वाले सुरेंद्र ने बताया कि गांव में बारात घर नहीं है. पंचायत के लिए साफ सुथरी जगह नहीं है. बच्चों के खेलने के लिए मैदान नहीं बचे हैं. गांव में दो मैदान थे वहां पर मनरेगा योजना का तालाब खोद दिया गया है. ज्यादातर लोग अशिक्षित हैं, जिसकी वजह से अपने अधिकार की लड़ाई नहीं लड़ पाते.
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नहीं मिला सरकारी योजना से शौचालय का लाभगांव के ही रहने वाले नाथूराम का कहना है गांव की महिलाओं और पुरुषों के लिए शौचालय एक बड़ी जरूरत है. पिछली सरकार में गांव के प्रधान जी को सब कागज दे दिए थे लेकिन दो चार घरों को छोड़कर किसी को भी प्रधानमंत्री योजना द्वारा शौचालय का लाभ नहीं मिला. गांव की सड़कें बेहद खराब हैं. कई बार प्रधान जी को और जिला पंचायत सदस्य को सूचना दी गई लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई इस बार भी इन्हीं सब बातों को लेकर चुनाव होगा.
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इस बार चुनाव में बड़ा मुद्दाकड़ी धूप में अपने खेत की मेड़ पर बैठे राम दुलारे के चेहरे पर पसीने के साथ गुस्सा और तनाव भी देखने को मिला. पूछने पर बिफर पड़े कहने लगे चुनाव में वोट मांगने तो सब आ रहे हैं लेकिन गांव के किसान का दर्द दूर करने वाला कौन है. सारी फसल जानवर खा जा रहे हैं. पूरी रात जागकर बितानी पड़ती है. थोड़ी देर के लिए भी अगर चूक गए तो हरी फसल को छुट्टा जानवर चट कर जाते हैं. इन जानवरों को पकड़ कर ले जाने की कोई व्यवस्था नहीं है. सिर्फ सरकारी दावों में गौ आश्रय स्थल बने हैं. बाकी यह जानवर ऐसे ही घूम घूम कर किसानों को नुकसान पहुंचा रहे हैं.
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गांव तक नही पहुंची विकास की रौशनीहमारी टीम गांव की पगडंडियों से गुजर रही थी कि अचानक एक नेता जी गांव की महिलाओं से हाथ जोड़कर एक बार फिर से अपने लिए समर्थन मांगते दिखे. नेताजी महिलाओं से कह रहे थे कि गांव के सभी मेधावी बच्चों को मेरी ओर से फ्री में पढ़ाई की व्यवस्था दी जाएगी. हमने भी नेता जी से कुछ सवाल किए. गांव में सड़क और प्रकाश के साथ-साथ शौचालय की व्यवस्था पर जब सवाल किया तो जिला पंचायत सदस्य प्रतिनिधि रामचंद्र ने सारी कमियों की वजह प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही बताया. जिला पंचायत सदस्य प्रतिनिधि रामचंद्र ने कहा कि सिर्फ गांव में सड़क बनाने का काम हो पाया है. बाकी शौचालय से लेकर अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही के कारण गांव के लोगों को नहीं मिला. हम लगातार कागजी कार्रवाई करते रहे मदद मांगते रहे लेकिन अफसरों की लापरवाही के कारण केंद्र और प्रदेश सरकार की तमाम योजनाओं का लाभ जनता को नहीं मिला. इस बार मौका मिला तो डटकर गांव की जनता की सेवा करेंगे.
जानिए क्या है इस चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा
यूपी विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल है पंचायत चुनावगौरतलब है कि देश की आबादी का एक बड़ा हिस्सा गांव में बसता है. भले ही गांव में होने वाला यह चुनाव शहरी चुनाव की तरह हाई-फाई नहीं है. लेकिन इस चुनाव में भी सत्तारूढ़ और विपक्षी दल के नेता अपनी जान लड़ाई हुए हैं. गांव की पंचायत से होकर गुजरने वाला रास्ता प्रदेश की सियासत में अहम किरदार निभाता है. इसलिए इस चुनाव में अपनी दमदार मौजूदगी हर पार्टी के नेता दिखाना चाहते हैं. प्रदेश में अगले साल विधानसभा के चुनाव हैं. ऐसे में जिला पंचायत के चुनाव को विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल भी माना जा रहा है. यही वजह है कि इस चुनाव में सत्ता पक्ष और विपक्ष के नेता जोरदार नतीजे लाकर साल 2022 के चुनाव की तैयारी को और मजबूत करना चाहते हैं.

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