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रामनगरी में हैं जनकपुर की कुलदेवी, मां सीता ने किया था स्थापित - अयोध्या समाचार

अयोध्या नगर के मध्य स्थित माता सीता देवी की कुल देवी के रूप में प्रसिद्ध माता देव कली मंदिर में भी पांच अगस्त को उत्सव की तैयारी है. इस प्राचीन मंदिर का उल्लेख चीनी यात्री ह्वेनसांग व फाहियान ने भी अपनी यात्रा वृतांत में किया है.

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अयोध्या में स्थित है मां सीता की कुल देवी का मंदिर.

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Published : Aug 1, 2020, 12:08 PM IST

अयोध्या: राम नगरी विभिन्न संस्कृतियों की आस्था का संगम है. मठ मंदिरों के प्रधान शहर में जनकपुर की कुलदेवी भी विराजती हैं. यह बेहद प्राचीन मंदिर है. चीनी यात्री ह्वेनसांग व फाहियान ने भी अपनी यात्रा वृतांत में इस प्राचीन मंदिर के आध्यात्मिक वैभव का उल्लेख किया है. 5 अगस्त को अयोध्या में विराजमान मां सीता की कुलदेवी सर्वमंगला पार्वती माता गौरी के इस मंदिर में उत्सव मनाने की तैयारी है.

अयोध्या में स्थित है मां सीता की कुल देवी का मंदिर.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों पांच अगस्त को अयोध्या में राम मंदिर की आधारशिला रखी जाएगी. इसके साथ ही राम नगरी के प्रतिष्ठा की पुनर्स्थापना होगी. अयोध्यावासी और राम मंदिर समर्थक इसे अयोध्या और देश भर के लिए नई सुबह मान रहे हैं. इस ऐतिहासिक क्षण को उत्सव के रूप में मनाने की तैयारी की जा रही है. राम नगरी को सजाने संवारने का काम नगर निगम प्रशासन जिला प्रशासन, विभिन्न धार्मिक स्थलों के ट्रस्ट और श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से किया जा रहा है. ऐसे में अयोध्या के 25 मंदिरों में अखंड रामायण का पाठ होने जा रहा है.मां सीता ने छोटी देवकाली को अयोध्या में किया था स्थापितअयोध्या का छोटी देवकाली मंदिर शक्ति उपासना का प्रमुख पीठ रहा है. अपनी मान्यता के चलते यह मंदिर अति विशिष्ट है. अयोध्या के श्री देव काली मंदिर का इतिहास इस बात का साक्षी है. मान्यता है कि जब मां सीता जनकपुरी से अपने ससुराल अयोध्या के लिए चलीं तो वे कुलदेवी माता पार्वती की प्रतिमा अपने साथ लेकर आईं. जनकपुर में मां सीता नित्य प्रति मां सर्वमंगला गौरी की पूजा करती थीं. ऐसे में मां सीता के स्वसुर व अयोध्या के राजा दशरथ ने राम नगरी में स्थित सप्तसागर की ईशान कोण पर पार्वती जी का मंदिर बनवाया था, जहां सीता के साथ राजकुल की अन्य रानियां पूजा पाठ करने जाती थीं.चीनी यात्री ह्वेनसांग फाहियान की यात्रा वृतांत में छोटी देवकाली का उल्लेखअयोध्या के इस प्राचीन मंदिर का उल्लेख चीनी यात्री ह्वेनसांग ने भी किया है. यह मंदिर मुगलों और हूणों के आक्रमण से दो बार ध्वस्त हुआ. मुगलों द्वारा दूसरी बार ध्वस्त किए जाने के बाद बिंदु संप्रदाय के महंत ने इस मंदिर के स्थल का निर्माण कराया. इससे पहले जब उन्होंने छोटी देवकाली मंदिर को ध्वस्त किया था तो उसका पुनर्निर्माण महाराजा पुष्यमित्र ने करवाया था. पुराणों में भी इस मंदिर का उल्लेख मिलता है. रुद्रयामल और स्कंद पुराण में मां छोटी देवकाली मंदिर के महत्व का वर्णन है. अयोध्या के इस प्रमुख मंदिर में वर्षभर पूजा-अर्चना और परंपरागत उत्सव का क्रम जारी रहता है. जब भगवान राम की मंदिर निर्माण की शुरुआत हो रही है तो इस मंदिर की यादें ताजा की जा रही हैं.छोटी देवकाली मंदिर के पुजारी अजय द्विवेदी का कहना है कि छोटी देवकाली मां सीता की कुलदेवी हैं. मां सीता जनकपुर में उनकी पूजा करती थीं. भगवान से जब मां सीता का विवाह हुआ तो मां गौरी के विग्रह के प्रति आस्था को देखते हुए राजा जनक ने जब उन्हें अयोध्या भेजा तो जनकपुर की कुलदेवी सर्वमंगला पार्वती माता गौरी की विग्रह साथ में दी. राजा दशरथ ने सप्त सागर के पास इसे स्थापित कर आया तब से मां सीता यहां पूजा पाठ करती रहीं. अयोध्या में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम की कुलदेवी बड़ी देवकाली के साथ मां सीता की कुलदेवी छोटी देवकाली को भी बराबर मान्यता मिलती है. राम मंदिर भूमि पूजन के दिन छोटी देवकाली मंदिर की शोभा देखते ही बनेगी. मंदिर में रामचरितमानस की चौपाइयां गुंजेंगी. हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का पाठ किया जाएगा.

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