अयोध्या: दीपावली का पर्व सदियों से पूरे देश भर में मनाया जाता रहा है. हर किसी को यह पता है कि दीपावली का पर्व क्यों मनाया जाता है. दीपावली के मौके पर पूरे देश भर में बाजारों में रौनक है. लोग दीपों के इस पर्व को भव्य तरीके से मनाने के लिए बाजारों में खरीदारी कर रहे हैं. लेकिन इस पर्व के उद्गम स्थल पर इस प्रकाश पर्व का शास्त्रीय महत्व क्या है, यह जानने की कोशिश की है ईटीवी भारत की टीम ने. अयोध्या के संतों की नजर में दीप पर्व दीपावली का महत्व अयोध्या के शास्त्रीय दृष्टिकोण से क्या है यह अयोध्या के संतों ने बताया. देखें यह खास रिपोर्ट...
देश के कोने-कोने से पर्यटक और श्रद्धालु पहुंचे हैं अयोध्या
धार्मिक नगरी अयोध्या में दीप पर्व दीपावली की परंपरा की शुरुआत हुई त्रेता युग की इस कथा का कलयुग में सजीव मंचन इन दिनों चल रहा है. अयोध्या के सरयू तट से लेकर राम की पैड़ी परिसर में दीपोत्सव कार्यक्रम की छटा बिखरी हुई है. हर कोई इस पर्व को लेकर उत्साहित है और इस भव्य आयोजन का हिस्सा बनना चाहता है.
शाम ढलते ही मुख्य कार्यक्रम स्थल पर उमड़ने वाली भीड़ इस बात का प्रतीक है कि इस दीप पर्व को लेकर अयोध्या के लोगों में कितना उत्साह है. अयोध्या ही नहीं भारत के अन्य राज्यों से भी आए पर्यटक और श्रद्धालु दीप पर्व के महत्व को और करीब से समझने के लिए राम नगरी में पहुंचे हैं. ऐसे में जरूरी है कि हम यह जाने कि आखिरकार दीप पर्व दीपावली का महत्व अयोध्या के नजरिए से क्या है.
पूरी दुनिया मे रामराज्य स्थापित होने का स्मृति दिवस है दीपोत्सव का पर्व
दीपोत्सव की परंपरा का पौराणिक महत्व राम नगरी अयोध्या से ही जुड़ा है. तिवारी मंदिर के महंत गिरीश पति त्रिपाठी ने बताया कि 'जेहि दिन राम जनम श्रुति गावहिं। तीरथ सकल तहाँ चलि आवहिं' अर्थात जिस दिन भगवान राम का जन्म अयोध्या में हुआ, उस दिन सारे तीर्थ अयोध्या में चले आते हैं.
उसी प्रकार 'अवधपुरी प्रभु आवत जानी। भई सकल सोभा कै खानी' अर्थात भगवान राम ने जब रावण का वध कर लंका पर विजय प्राप्त की थी और वापस अयोध्या लौटे थे, उस समय अयोध्या में राम राज्य की स्थापना हुई थी.