हैदराबाद: देश के बहुसंख्यक हिंदुओं को वर्षों से जिस घड़ी का इंतजार था, अब वह आ गई है. पांच अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन करेंगे. कन्याकुमारी से कश्मीर तक भगवान राम पूजे जाते हैं. भगवान राम को लोग मर्यादा पुरुषोत्तम मानते हैं.
लंबे विवाद और अदालती प्रक्रियाओं से गुजरने के बाद पिछले वर्ष सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या के राम जन्मभूमि भूमि विवाद में अंतिम फैसला सुनाया. अब मंदिर के लिए भूमि पूजन किया जाना है.अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला आने के बाद राम जन्मभूमि आंदोलन से जुड़े प्रमुख हिंदू नेताओं में विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के दिवंगत नेता अशोक सिंघल और भाजपा के दिग्गज नेता लालकृष्ण आडवाणी के योगदान की सराहना की.
लाल कृष्ण आडवाणी (तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष)
1990 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पार्टी का विस्तार करने का प्रयास कर रही थी. 1984 के आम चुनावों में पार्टी ने लोकसभा में केवल दो सीटें जीती थीं. 1989 तक पार्टी 80 से अधिक लोक साभा सीटें जीत चुकी थी. लाल कृष्ण आडवाणी 1989 में पार्टी के अध्यक्ष बने. जिसके बाद दो बड़ी घटनाएं हुईं. एक 6 दिसंबर 1992 को विवादित ढांचे का विध्वंस और सत्ता में भाजपा का आना.आडवाणी ने 25 सितंबर, 1990 को गुजरात के सोमनाथ से रथयात्रा शुरू की, जिसे विभिन्न राज्यों से होते हुए 30 अक्टूबर को अयोध्या पहुंचना था. आडवाणी वहां कारसेवा में शामिल होने वाले थे.1991 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 100 का आंकड़ा पार किया. 6 दिसंबर 1992 में जब विवादित ढांचे को गिराया गया, तो आडवाणी और अन्य भाजपा नेताओं के साथ कारसेवकों की भीड़ में भाषण देते हुए अयोध्या में मौजूद थे.1996 में भाजपा लोकसभा में अकेली सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी और 13 दिन तक केंद्र में अल्पकालिक सरकार बनी. 1998 में आडवाणी के गृहमंत्री के रूप में पार्टी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के हिस्से के रूप में फिर से सत्ता में आई. बाद में उन्हें उप प्रधानमंत्री के रूप में पदोन्नत किया गया, लेकिन बीजेपी 2004 और 2009 के आम चुनावों में हार गई. आडवाणी को दोनों में उनके पीएम उम्मीदवार के रूप में प्रोजेक्ट किया गया. जैसे ही नरेंद्र मोदी प्रमुखता से आगे बढ़े आडवाणी ने खुद को पार्टी में दरकिनार कर लिया.
कल्याण सिंह (पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश)
दिसंबर 1992 में अयोध्या में बाबरी मस्जिद को गिराए जाने के समय कल्याण सिंह मुख्यमंत्री थे. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का कर्तव्य था कि वह अपने वैचारिक झुकाव के बावजूद विवादित ढांचे की सुरक्षा सुनिश्चित करें. लिखित आश्वासन से लेकर विधानसभा में भाषण देने तक उन्होंने कहा कि उनकी सरकार विवादित ढांचे को सुरक्षा प्रदान करेगी. सिंह ने यहां तक कि मस्जिद की सुरक्षा का वादा करते हुए सुप्रीम कोर्ट को चार सूत्री हलफनामा सौंपा और आश्वासन दिया कि केवल प्रतीकात्मक कार सेवा की अनुमति दी जाएगी.कल्याण सिंह उन तेरह लोगों में हैं, जिन पर मूल चार्जशीट में विवादित ढांचा गिराने के 'षड्यंत्र' में शामिल होने का आरोप है. सीबीआई की मूल चार्जशीट के मुताबिक 1991 में मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद कल्याण सिंह ने डॉ. मुरली मनोहर जोशी और अन्य नेताओं के साथ अयोध्या जाकर शपथ ली थी कि विवादित स्थान पर ही मंदिर का निर्माण होगा.
पीवी नरसिम्हा राव (पूर्व प्रधानमंत्री)