अयोध्या: रसिक भाव से श्रीराम नाम का प्रचार कर उसे जनमानस के हृदय में प्रतिष्ठित करने वाले स्वामी जानकी शरण महाराज उर्फ झुनझुनिया बाबा की गिनती अयोध्या के सिद्ध संतों की अग्रणी पंक्ति में की जाती है. महाराजश्री को सीता जी की सहेली चंद्रकला का अवतार माना जाता है. उन्होंने सरयू के तट पर जहां तपस्या की थी. वहां सियाराम किला भव्य मंदिर बना हुआ है.
स्वामी जानकी शरण उर्फ झुनझुनियां बाबा ने अपने समय मे अयोध्या में उस समय के एकमात्र पक्के घाट का निर्माण कराया था. यह आज भी झुनकी घाट के नाम से मशहूर है. इस घाट पर दर्शन एवं सरयू स्नान के लिए आने वाले लोग आज भी आनंद का अनुभव करते हैं.
उल्टी खाट पर बैठकर करते थे यात्रा
स्वामी जानकी शरण उर्फ झुनझुनिया बाबा उल्टी खाट पर बैठकर 'श्री राम नाम सत्य है' की धुन लगाते हुए यात्रा करते थे. झुनझुनिया बाबा कानों में बाली, हाथों में कंगन, पैरों में घुंघरू पहन के सीता जी की सखी चंद्रकला के रूप में ही आजीवन भगवान श्रीराम की आराधना में लीन रहे.
किशोरी जी से मिला जन कल्याण का आदेश
उन्होंने सत्यभाव से श्री सीताराम की उपासना की धारा प्रज्वलित की, जो आज भी करोड़ों लोगों को रामनाम रूपी दिव्य रस का अनुभव कराती है. मंदिर के महंत करुणानिधान शरण कहते हैं की झुनझुनियां बाबा ने कई दशक तक कठोर तपस्या कर भगवान का साक्षात दर्शन प्राप्त किया. किशोरी जी से उन्हें जन कल्याण का आदेश मिला.
तपोस्थली पर सियाराम किला की स्थापना कराई