अयोध्या: साल 2020 का पहला सूर्य ग्रहण वलयाकार होगा. अनुमान लगाया जा रहा है कि इस बार चंद्रमा सूर्य का 98.8 प्रतिशत भाग ढक लेगा. अयोध्या के संतों और ज्योतिषाचार्यों की मानें तो विगत 885 वर्षों के बाद यह संयोग पहली बार बनने जा रहा है. ग्रहण के दुष्प्रभावों से बचने के लिए संतों ने विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी है.
मंदिरों के बंद हुए कपाट
सूर्य ग्रहण का सूतक काल ग्रहण से 12 घंटा पहले शुरू हो जाएगा. आज रात 9 बजकर 15 मिनट से सभी मंदिरों के पट बंद कर दिए गए. ग्रहण समाप्त होने पर मंदिरों को खोला जाएगा. मूर्तियों पर जल छिड़कर उन्हें स्नान कराने के बाद विधिवित पूजा-पाठ होगा. राम नगरी के संतों की माने तो साल 2020 के सूर्य ग्रहण का भयंकर दुष्प्रभाव हो सकता है.
सूर्य ग्रहण का भयंकर होगा दुष्परिणाम
रामादल ट्रस्ट के अध्यक्ष पंडित कल्किराम का कहना है कि ऐसा सूर्य ग्रहण आज से करीब 885 वर्ष पहले लगा था. उस समय भी ऐसी ही स्थिति थी, जैसे कि आज है. ऐसा सूर्य ग्रहण जब लगा था, तब विश्व में हिंसा चरम पर थी. मानव जाति त्रस्त थी. आज भी कुछ ऐसी ही स्थिति है. कोरोना का संकट पूरे विश्व में हाहाकार मचाए हुए हैं. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान, नेपाल और चीन अपने कुकृत्यों से विश्व को भ्रम में डाले हुए हैं. मानव जाति बीमारी और षड्यंत्रों से त्रस्त है. उन्होंने कहा कि इस सूर्य ग्रहण के भयंकर दुष्परिणाम हो सकते हैं. हालांकि इससे बचाव के उपाय करने से इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है.
भगवान महादेव की करें आराधना
पंडित कल्किराम ने बताया कि पूजा, जपतप और ध्यान से सूर्य ग्रहण के दुष्प्रभाव को रोका जा सकता है. ग्रहण के दौरान लोगों को आशुतोष भगवान महादेव की आराधना और 'ओम नमः शिवाय' मंत्र का जाप करना चाहिए. उन्होंने कहा कि इसके साथ अपने इष्ट की पूजा भी ग्रहण के दुष्प्रभाव को कम करने में सहायक होगी.