अयोध्याः धार्मिक नगरी में राम मंदिर निर्माण शुरू होने के साथ ही यहां की जमीनों की कीमत 6 गुना से 10 गुना तक बढ़ चुकी है. जो जमीने निर्विवाद हैं, उनकी खरीद और बिक्री को लेकर जहां 10 गुना कीमत देकर भी लोग जमीन खरीदने को तैयार हैं. वहीं बड़े पैमाने पर विवादित जमीन और नजूल यानी सरकार के कब्जे की जमीनों को भी फर्जी दस्तावेज बनाकर बेचने की कवायद जोर-शोर से चल रही है.
इसी कड़ी में कुछ विवादित जमीन श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को बेची गई. जब मामला चर्चा में आया तो पूरे मामले का खुलासा हुआ और अब इस मामले को लेकर राजनीति तेज हो गई है. दिलचस्प बात यह है कि जिन लोगों ने ट्रस्ट को महंगे दाम पर विवादित जमीन बेची, उन लोगों ने अयोध्या में कई और इलाकों में बड़े पैमाने पर विवादित जमीनों को खरीद रखा है. सूत्रों का दावा है कि यह जमीन भी ट्रस्ट को बेच दी जाती, लेकिन उससे पहले ही मामला सवालों के घेरे में आ गया और अब पूरे प्रकरण पर लीपापोती का दौर जारी है.
वहीं अयोध्या में सरयू तट के किनारे मीरापुर दोआबा की एक जमीन का बैनामा लिए जाने में भी माहपौर के बेहद करीबी रिश्तेदार रवि मोहन तिवारी और प्रॉपर्टी डीलर सुल्तान अंसारी का नाम सामने आया है. जमीन पर अपना अधिकार बताने वाले वर्तमान में जमीन के कब्जेदार ने कृष्ण कुमार पांडे ने आरोप लगाया है कि यह सभी व्यक्ति मिलकर गलत तरीके से जमीन का बैनामा करा चुके हैं और इस जमीन को ट्रस्ट को बेचने की तैयारी में थे.
न्यायालय में मुकदमा फिर भी जारी है खरीद-फरोख्त
अयोध्या में सत्यदेव पुरम चौराहे के पास स्थित सरयू नदी के किनारे जमीन के एक बड़े हिस्से पर खेती-बाड़ी कर रहे कृष्ण कुमार पांडे ने आरोप लगाया है कि सन 1990 में उन्होंने खाता संख्या-14 की जमीन बैनामे के जरिए ली थी. जिसके बाद इस जमीन पर मालिकाना हक को लेकर कई मुकदमे न्यायालय में विचाराधीन हैं. भूमि संख्या-14 के रूप में राजस्व अभिलेखों में दर्ज इस जमीन पर 23 अप्रैल को ट्रस्ट को जमीन बेचने वाले रवि मोहन तिवारी, सुल्तान अंसारी, रवि पाठक, कुसुम पाठक और उनके अन्य साथियों ने मिलकर बैनामा करा लिया. जबकि इस जमीन पर मालिकाना हक को लेकर वाद न्यायालय में लंबित है.
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