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राम जन्मभूमि में मिल रहे प्रतीक चिह्न विक्रमादित्य कालीन: रामविलास वेदांती

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Published : May 22, 2020, 5:17 PM IST

उत्तर प्रदेश के अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि भूमि की खुदाई में मिल रहे प्रतीक चिह्नों को बीजेपी के पूर्व सांसद रामविलास वेदांती ने विक्रमादित्य काल का बताया है. उन्होंने कहा कि यह मंदिर उज्जैन के राजा विक्रमादित्य द्वारा बनवाया गया था, जो 84 कसौटी के खंभे से निर्मित था.

पूर्व बीजेपी सांसद रामविलास वेदांती.
पूर्व बीजेपी सांसद रामविलास वेदांती.

अयोध्या:राम जन्मभूमि में मिल रही मूर्तियों, प्रतीक चिह्नों को लेकर बीजेपी के पूर्व सांसद रामविलास वेदांती ने बड़ा दावा किया है. उन्होंने कहा है कि यह मूर्तियां उसी मंदिर की हैं, जिसे राजा विक्रमादित्य ने बनवाया था. वेदांती ने दावा किया है कि राम जन्मभूमि परिसर के पीछे खाई की गहराई तक खुदाई की जाए तो त्रेता युगीन मूर्तियां और प्रतीक चिह्न भी प्राप्त हो सकते हैं.

पूर्व बीजेपी सांसद रामविलास वेदांती.

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से राम जन्मभूमि परिसर में समतलीकरण का कार्य किया जा रहा है. राम मंदिर के गर्भ गृह के स्थान की मिट्टी हटाने पर कई दुर्लभ पुरातात्विक प्रतीक चिह्न प्राप्त हुए हैं. ट्रस्ट को कई पुरातात्विक मूर्तियां, खंभे और शिवलिंग मिले हैं.

अपने बयानों के चलते सुर्खियों में रहने वाले भारतीय जनता पार्टी के पूर्व सांसद और संत रामविलास वेदांती ने कहा है कि ये वही पत्थर हैं, जिनका प्रयोग उज्जैन के राजा विक्रमादित्य द्वारा बनवाए गए राम मंदिर में प्रयोग किया गया था.

वेदांती का कहना है कि श्री राम जन्म भूमि में इससे पहले भी पुरातत्व विभाग से संबंधित राम जन्मभूमि के चिह्न मिले थे. शंख, चक्र, गदा, त्रिशूल, स्वास्तिक के चिह्न, अमृत कलश और अमरबेल जैसी दुर्लभ कलाकृतियां मिली हैं.

आपको बता दें कि वर्तमान में श्री राम जन्मभूमि परिसर में समतलीकरण के दौरान भारी संख्या में देवी-देवताओं की खंडित मूर्तियों के अतिरिक्त 7 ब्लैक टच स्टोन के स्तम्भ, 6 रेड सैंडस्टोन के स्तम्भ सहित 4 फीट से बड़ा एक शिवलिंग भी मिला है. इन सभी का प्रयोग प्राचीन मंदिरों में किया जाता रहा है.

बीजेपी के पूर्व सांसद वेदांती ने कहा कि श्री राम जन्मभूमि परिसर के समतलीकरण के दौरान वर्तमान में जो भी प्राप्त हुए हैं, वह राजा विक्रमादित्य के समय के हैं. राम जन्मभूमि परिसर के पीछे करीब 50 फीट गहरी खाई है, जिसके लेवल तक खुदाई करने पर भगवान राम के त्रेता युगीन मूर्तियां और प्रतीक चिह्न भी प्राप्त हो सकते हैं.

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