अयोध्या: देवोत्थनी एकादशी के मौके पर रामनगरी अयोध्या में 30 लाख से अधिक श्रद्धालु चतुर्दिक पंच कोस की परिक्रमा कर रहे हैं. पौराणिक मान्यता के अनुसार देवोत्थनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु सहित सभी देवी देवता निद्रा से उठते हैं और आज से ही सारे मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं. देवोत्थनी एकादशी के दिन पवित्र नदियों में स्नान और विशेष कर अयोध्या में राम जन्मभूमि सहित सभी मंदिरों की परिक्रमा का विशेष महत्व है. इसीलिए प्रतिवर्ष पांच कोस की परिक्रमा में शामिल होने के लिए लाखों श्रद्धालु अयोध्या आते हैं. इसी कड़ी में इस वर्ष भी परिक्रमा में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी है.
परिक्रमा या संस्कृत में प्रदक्षिणा शब्द का अर्थ है प्रभु की उपासना, अपने मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए श्रद्धालु चाहे वह किसी धर्म का हो, मंदिर गुरुद्वारे और मस्जिदों की परिक्रमा करते हैं. इसमें उस स्थान की परिक्रमा की जाती है, जिसके मध्य में देवी देवता की कोई प्रतिमा या कोई ऐसी पूज्य वस्तु रखी होती है, जिसमें उस व्यक्ति का विश्वास और आस्था होती है. सनातन धर्म के महत्वपूर्ण ग्रंथ ऋग्वेद में प्रदक्षिणा अर्थात परिक्रमा को लेकर बेहद अहम जानकारी दी गई है.
ऋग्वेद के अनुसार प्रदक्षिणा शब्द को जब दो भागों में विभाजित किया जाता है तो प्रा + दक्षिणा अलग अलग हो जाती है. इस पूरे शब्द में मौजूद प्रारब्ध के प्रा का अर्थ आगे बढ़ने से है और दक्षिण का अर्थ है चारों दिशाओं में से एक दक्षिण की दिशा, यानी कि ऋग्वेद के अनुसार परिक्रमा का अर्थ है दक्षिण दिशा की ओर बढ़ते हुए देवी देवता की उपासना करना.