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राम जन्मभूमि परिसर स्थित पौराणिक मंदिरों के विग्रह कारसेवकपुरम में पुर्नस्थापित - श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चम्पत राय

राम जन्मभूमि परिसर स्थित पौराणिक मंदिरों के विग्रहों को कारसेवकपुरम में पुनर्स्थापित किया गया है. यह जानकारी श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चम्पत राय ने दी.

deities of mythological temples in ram janmbhoomi complex
रामजन्मभूमि परिसर में स्थित मूर्ति.
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Published : May 10, 2021, 10:47 AM IST

अयोध्या : रामनगरी में रामजन्मभूमि परिसर स्थित पौराणिक मंदिरों के विग्रहों को कारसेवकपुरम यज्ञशाला में पुर्नस्थापित किया गया है. 1993 में इन मंदिरों का अधिग्रहण हो गया था. वर्तमान में यह जीर्णर्शीण अवस्था में थे. इन मंदिरों में कुछ राम जन्मभूमि का भी हिस्सा है.

जानकारी देते ट्रस्ट के महासचिव.

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चम्पत राय के मुताबिक, मंदिरों के विग्रहों को कारसेवकपुरम की यज्ञशाला में रखा गया है. यहां दोनों समय उनकी पूजा हो रही है. उन्होंने बताया कि 1993 में हुए अधिग्रहीत 70 एकड़ के एक भूखण्ड में सीता रसोई, रामचरित भवन, कोहबर भवन, रामखजाना, आनंद भवन व साक्षी गोपाल शामिल थे. यह सभी स्थान राम जन्मभूमि मंदिर के परकोटे के अन्तर्गत आ रहे थे. सीता रसोई मंदिर के परकोटे में और साक्षी गोपाल मंदिर के अंदर आ रहा है. रामचरित भवन के आधे से ज्यादा हिस्सों में अब राम मंदिर की सीढ़ियां बननी शुरू होंगी.

विग्रहों को रखा गया सुरक्षित
ट्रस्ट के महासचिव चम्पत राय ने बताया कि रामखजाना, कोहबर भवन का एक बड़ा हिस्सा गिर चुका था. इनके विग्रहों को वहीं सुरक्षित रखा गया था. अब आवश्यक समझा गया तो उन्हें कारसेवकपुरम ले आया गया. इनको यहां की यज्ञशाला में स्थापित कर दिया गया है. जहां दोनों समय उनकी पूजा होती है. जब राम जन्मभूमि का पूर्ण विकास हो जाएगा, तब इनके विषय में विचार किया जाएगा.

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90 से 95 प्रतिशत तक बढ़ाया जाएगा घनत्व
चम्पत राय ने बताया कि राम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण की प्रक्रिया लगातार चल रही है. मंदिर के बेस के लिए 400 फीट लम्बे, 300 फीट चौड़े और 50 फीट गहरे गड्ढे में मैटेरियल डालने का काम हो रहा है. 300 मिमी भरने के बाद इसे रोलर से दबाया जा रहा है. क्रमबद्ध तरीके से कुछ इस प्रकार मैटेरियल को डाला जा रहा है कि उसका घनत्व 90 से 95 प्रतिशत तक बढ़ाया जा सके. नींव निर्माण के 44 में से दो लेयर तैयार हो चुके हैं.

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