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श्रीराम की कुलदेवी हैं बड़ी देवकाली, माता कौशल्या ने रामलला को गोद में लेकर किया था दर्शन

इस पौराणिक मंदिर के बारे में मान्यता है कि यह मंदिर भगवान श्रीराम की कुलदेवी का मंदिर है. इस प्राचीन मंदिर में एक ही शिला में विराजमान मां दुर्गा के 3 रूपों की पूजा, आराधना की जाती है. शारदीय नवरात्रि में इसकी महत्वता और बढ़ जाती है.

बड़ी देवकाली मंदिर.
बड़ी देवकाली मंदिर.

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Published : Oct 7, 2021, 3:50 PM IST

अयोध्याः शारदीय नवरात्रि के मौके पर देशभर में मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री की पूजा अर्चना की जा जाती है. इसी कड़ी में अयोध्या के प्रसिद्ध बड़ी देवकाली मंदिर में भी श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी है. इस पौराणिक मंदिर के बारे में मान्यता है कि यह मंदिर भगवान श्रीराम की कुलदेवी का मंदिर है. इस प्राचीन मंदिर में एक ही शिला में विराजमान मां दुर्गा के 3 रूपों की पूजा आराधना की जाती है. वर्ष पर्यंत इस प्राचीन मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ जमा रहती है, लेकिन शारदीय नवरात्र और वासंती नवरात्र पर यहां पर श्रद्धालुओं की विशेष भीड़ उमड़ती है.

सदियों से श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है ये प्राचीन मंदिर

अयोध्या की प्राचीन माता बड़ी देवकाली मंदिर श्रद्धा का एक बड़ा केंद्र है. जहां देश के कोने कोने से श्रद्धालु विशेष रूप से नवरात्री में मां के दर्शन करने पहुंचते हैं. मां बड़ी देवकाली को भगवान श्रीराम की कुलदेवी के रूप में जाना जाता है. एक ही शिला में विराजमान श्री महा काली , श्री महा लक्ष्मी और श्री महा सरस्वती भक्तों के कल्याण के लिए यहां विराजमान है. यहां श्रद्धा के साथ जो भी मुरादे मांगी जाती हैं भक्तों की वह मुरादें पूरी होती हैं. धर्मनगरी अयोध्या के 14 कोस की परिधि में अयोध्या जिले में बड़ी देवकाली जी के नाम से प्रसिद्ध मर्यादा पुरषोत्तम श्री राम की कुलदेवी विराजमान हैं.

बड़ी देवकाली मंदिर.

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माता कौशल्या ने किया था इस पौराणिक मंदिर में दर्शन

मंदिर के प्रधान पुजारी सुनील पाठक ने बताया कि प्रभु श्री राम के पूर्वज महाराजा रघु अपनी अराध्य कुलदेवी श्री बड़ी देवकाली जी की तीनों रूपों की पूजा अर्चना किया करते थे. मर्यादा पुरषोत्तम श्रीराम का जब जन्म हुआ तब मां कौशल्या ने बाल्य रूप श्री राम के साथ यहां पूजा अनुष्ठान कर अपनी कुलदेवी के तीनों रूपों की पूजा अर्चना की थी. यह प्रसिद्ध प्राचीन मंदिर दूर दाराज से आए भक्तों के आस्था का केंद्र है. मान्यता है कि जिस तरह से माता कौशल्या भगवान राम को जन्म देने के बाद भगवान राम के साथ माता देवकाली का दर्शन करने आई थीं. उसी तरह से पुत्र प्राप्ति के बाद लोग पुत्र को लेकर माता देवकाली का दर्शन करने आते हैं.

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