अयोध्या: जिले में 11 नवंबर से 13 नवंबर के बीच होने वाले दीपोत्सव कार्यक्रम में सिर्फ आमंत्रित मेहमानों को प्रवेश की अनुमति होगी. ऐसे में पूर्व के वर्षों में आने वाली भीड़ को इस वर्ष रोकना प्रदेश सरकार और जिला प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती होगी. अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण शुरू होने के साथ ही इस वर्ष दीपोत्सव कार्यक्रम का उल्लास पहले से कहीं ज्यादा है, लेकिन वर्तमान में कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए जिला प्रशासन ने इस कार्यक्रम में आम दर्शकों और श्रद्धालुओं के आने पर पूरी तरह से रोक लगा दी है. दीपोत्सव कार्यक्रम अब वर्चुअल मोड पर होगा और लोग अपने घर में बैठकर टीवी और सोशल मीडिया के माध्यम से इस कार्यक्रम को देख सकेंगे.
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अयोध्या में 11 नवंबर से 13 नवंबर के बीच होने वाले दीपोत्सव कार्यक्रम को लेकर योगी सरकार ने तैयारियां तेज कर दी हैं. कोरोना संक्रमण के खतरे के चलते इस आयोजन में सिर्फ आमंत्रित मेहमानों को ही प्रवेश की अनुमति होगी.
बिना पास के नहीं मिलेगी अनुमति
जिलाधिकारी अनुज कुमार झा ने बताया कि "अयोध्या में दीपोत्सव का कार्यक्रम 11 नवंबर से शुरू होकर 13 नवंबर तक चलेगा. 11 नवंबर को सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन होगा. 12 नवंबर को शोभायात्रा निकाली जाएगी और 13 नवंबर को मुख्य कार्यक्रम दीपोत्सव और भगवान राम का राज्याभिषेक होगा. इस बार पूर्व की अपेक्षा कार्यक्रम को और भव्य बनाने का प्रयास किया जा रहा है. इस बार राम की पैड़ी परिसर में जलाए जाने वाले दीपों की संख्या बढ़ाकर लगभग छह लाख कर दी गई है, जिसे जलाने के लिए अवध विश्वविद्यालय के छह हज़ार वालंटियर और कर्मचारी राम की पैड़ी पर मौजूद होंगे. इस कार्यक्रम में सिर्फ आमंत्रित किए गए मेहमानों को ही प्रवेश करने की अनुमति होगी. जिनके पास प्रशासन द्वारा जारी किया गया प्रवेश पास नहीं होगा वें लोग टीवी और सोशल मीडिया के माध्यम से इस कार्यक्रम को देख सकते हैं.
जिला प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती
योगी सरकार ने अयोध्या में दीपोत्सव कार्यक्रम आयोजित करने को लेकर भले ही तैयारियां तेज कर दी हो, लेकिन इस भव्य आयोजन से जनता को दूर रख पाना प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती होगी. पांच अगस्त को जब अयोध्या में पीएम नरेंद्र मोदी ने भूमि पूजन कार्यक्रम में हिस्सा लिया था उस समय भी अयोध्या में दीपोत्सव कार्यक्रम जैसा ही आयोजन हुआ था और तमाम प्रतिबंधों के बावजूद लाखों की संख्या में दर्शक राम की पैड़ी पर पहुंच गए थे. ऐसे में इस बार के आयोजन में लोगों को रोकना प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती होगी.