छह दिसंबर को न मनाएं शौर्य दिवस या काला दिवस, सुप्रीम कोर्ट का करें सम्मानः आचार्य सत्येंद्र दास - shaurya divas or black day
अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आए तकरीबन एक महीना बीतने वाला है. रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास का कहना है कि छह दिसंबर के दिन किसी को भी शौर्य दिवस या काला दिवस नहीं मनाना चाहिए. अब सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आ गया है, उसका सबको सम्मान करना चाहिए.
श्रीराम लला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास.
अयोध्याः हिंदू संगठनों ने इस बार छह दिसंबर को शौर्य दिवस की जगह दीपोत्सव मनाने की बात कही है. इस मामले पर श्रीराम लला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास का कहना है कि उन्होंने साफ कर दिया है कि छह दिसंबर को शौर्य दिवस के रूप में नहीं मनाएंगे और मुस्लिमों को भी चाहिए कि वे काला दिवस (यौमे गम) नहीं मनाएं, जिससे समाज में शांति व्यवस्था बनी रहे.
रिव्यू पिटिशन दायर करना गलत
इस मामले पर अयोध्या से श्रीराम लला के पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने आज ईटीवी भारत से विशेष बातचीत के दौरान कहा कि फैसला आने से पहले हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्ष हमेशा से ही सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करने की बात कहते रहे हैं, लेकिन अब मुस्लिम पक्षकारों के विरोध के बावजूद ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने रिव्यू पिटिशन दायर की है, जो सरासर गलत है और अपनी जुबान से पलटना है.
रामलला को किया जाय टेंट से मुक्त
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला आए हुए एक महीना होने वाला है, लेकिन अभी भी रामलला टेंट में हैं. फैसला आने के तुरंत बाद उन्हें कम से कम टेंट से आजाद कर एक अस्थायी शेड बनाकर पूजा की व्यवस्था करनी चाहिए, जिससे फैसले का सीधे तौर पर सम्मान करके उसे अमल किया जा सके.
कुछ लोग नहीं चाहते देश में सुख-शांति
आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा कि देश में जब हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्षों ने फैसले का सम्मान किया था, तो अब मुस्लिम पक्ष फैसला मानने के बजाय उसका विरोध कर रहा है और रिव्यू पिटिशन में जा रहा है, जो कि गलत है. यह कुछ ऐसे लोग हैं जिन्हें देश में सुख-शांति नहीं बल्कि हमेशा कोई न कोई विवाद बना रहे ऐसा सोचने वाले हैं. उन्होंने कहा कि रिव्यू पिटिशन को सुप्रीम कोर्ट स्वीकार करेगा या नहीं यह सुप्रीम कोर्ट जाने. फिलहाल हमारी सरकार से यह मांग है कि फैसला आए हुए एक महीना बीतने को है, अब टेंट हटाकर मंदिर निर्माण से पहले रामलला को अस्थायी स्थान दिया जाए, जिससे पूजा और अन्य कार्यक्रम सुचारु व्यवस्थित हो सके.