औरैयाः जहां एक ओर पूरा देश 1971 में हुई भारत-पाकिस्तान के युद्ध (India-Pakistan War) का विजय दिवस (Victory Day) मना रहा है. तो वहीं औरैया जिला भी अपने लोगों के दिए गये योगदान को याद कर रहा है. 1971 की लड़ाई में औरैया जिले का भी एक विशेष योगदान रहा है. जिसमें जिले के करीब 6 से अधिक सैनिकों ने अपने प्राणों की आहूति दी थी. आज पूर्व सैनिक कल्याण समिति ने शहीदों को यादकर उन्हें श्रद्धांजलि और उनके परिजनों को सम्मानित किया है.
गौरतलब है कि 1971 के युद्ध में भारत ने पाक की नापाक हरकतों को नाकाम करने के लिए 3 दिसम्बर 1971 को पाकिस्तान के खिलाफ खुले युद्ध का ऐलान कर दिया था. युद्ध में पाकिस्तान अपने विदेशी असलहों से लैस होकर भारत पर विजय हासिल करने का मनसूबा लेकर उतरा था. लेकिन भारतीय सेना ने अपने अपने अदम्य साहस के बल पर उन्हें मुंहतोड़ जबाव दिया था.
इस युद्ध में भारतीय सेना के साहस का परिचायक है लौंगेवाला पोस्ट का युद्ध. जिसमें केवल 120 भारतीय सैनिकों ने पाकिस्तान की पूरी टैंक ब्रिगेड को खत्म करके वहां विजय पताका फहराया था. पश्चिमी पाकिस्तान और पूर्वी पाकिस्तान से लगती दोनों सीमाओं पर भारतीय सेना विजय पताका फहराते हुए पाकिस्तान के क्षेत्र में प्रवेश कर गयी. 13 दिन तक चले भीषण युद्ध में पूर्वी और पश्चिमी पाकिस्तान के लगभग सारे क्षेत्र पर भारतीय सेनाओं ने अपना कब्जा कर लिया.
पाक की सेना ने टेके घुटने
16 दिसम्बर को पूर्वी पाकिस्तानी जनरल ने अपने 93 हजार सैनिकों के साथ भारतीय सेना के सामने घुटने टेक दिए. पूर्वी पाकिस्तान में भारतीय जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के सामने पाकिस्तानी जनरल नियाजी ने अपने 93 हजार सैनिकों के साथ समर्पण कर दिया. नियाजी के समर्पण के बाद पाकिस्तान की युद्ध में हार हो गई. इतनी बड़ी संख्या में एक साथ सैनिकों के साथ समर्पण करने का विश्व रिकॉर्ड आज भी पाकिस्तान के पास ही है.
गुरुवार को शहर के शहीद पार्क में भूतपूर्व सैनिकों ने 16 दिसम्बर 1971 को शहीद हुए सैनिकों को भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी. इसके साथ ही युद्ध में शहीद और घायल हुए सैनिको को सम्मानित किया गया. इसके साथ ही उनकी वीरगाथाओं को याद किया गया.