उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

औरैया: किसानों ने बंद किया फसल बीमा, बोले- फसल नुकसान पर नहीं मिलता मुआवजा - फसल बीमा

यूपी के औरैया में बीमा कंपनी से फसल के नुकसान पर मुआवजा न मिलने से तमाम किसानों ने फसल बीमा कराना बंद कर दिया है. किसानों का कहना है कि प्रीमियम के तौर पर हजारों रुपये की कटौती होने बाद फसल नुकसान पर बीमा कंपनियां मुआवजे की रमक देने में हीला-हवाली करती है.

किसानों ने बंद किया फसल बीमा
किसानों ने बंद किया फसल बीमा

By

Published : Sep 25, 2020, 1:17 PM IST

औरैया: बीमा कंपनी से फसल के नुकसान पर मुआवजा न मिलने से नाराज कई किसानों ने फसल बीमा कराना बंद कर दिया है. उनका कहना है कि प्रीमियम के तौर पर हजारों रुपये की कटौती हो जाने के बाद भी फसल नुकसान पर बीमा कंपनी मुआवजे की रकम देने में हीला-हवाली करती है. इसलिए उन्होंने अब फसल का बीमा कराना ही बंद कर दिया है. कई किसान क्रेडिट कार्ड धारक किसानों को इसकी कोई जानकारी नहीं है कि, उनके बैंक खाते से कितने रुपयों की कटौती हुई है और जिन्हें इसकी जानकारी है वो भी फसल का नुकसान होने पर बीमा कंपनी और बैंक के चक्कर काटने को मजबूर हैं.

फसल बीमा से जुड़े तथ्य
फसल बीमा को लेकर किसानों को अब तक पूरी जानकारी नहीं है. इसलिए वह मुआवजा हासिल करने से चूकते रहे हैं. जिला कृषि अधिकारी आवेश कुमार ने बताया कि जिले में दो लाख 41 हजार किसान हैं. एक अप्रैल से 31 जुलाई के मध्य 15325 किसानों ने खरीफ की फसल के लिए धान, बाजरा, मक्का और अरहर का बीमा कराया है. जिले में कुल 45958 केसीसी धारक हैं, जबकि 155 गैर ऋणी हैं. इस साल किसानों को इस बात की छूट दी गई थी, वे फसल बीमा की अंतिम तारीख से सप्ताह भर पूर्व बैंक को प्रार्थना पत्र देकर प्रीमियम न काटे जाने की मंशा जाहिर कर सकते थे. लिहाजा कई किसानों ने कई किसानों ने बीमा नहीं कराया.

किसानों से खरीफ फसल में दो प्रतिशत प्रीमियम राशि ली गई, जो संबंधित फसल के एक हेक्टेयर की निर्धारित लागत का दो प्रतिशत है. जिले में फसल बीमा कंपनी के लिए यूनिवर्सल सोम्पो कंपनी को जिम्मेदारी दी गई है. इस कंपनी का प्रतिनिधि इलाहाबाद बैंक में बैठता है. किसी किसान को ओलावृष्टि, अतिवृष्टि और भूस्खलन से 50 फीसदी से अधिक फसल नुकसान होता है तो उसे 25 फीसदी नुकसान तत्काल मुहैया कराएगी.

शेष रकम क्रॉप कटिंग के बाद पैदावार में हुई कमी के आधार पर दी जाएगी. यदि किसी किसान को सरकारी पट्टा दिया गया है तो उसे नाम से फसल बीमा होगा और यदि कोई व्यक्ति किसी किसान की खेती को पट्टे पर लेकर उपज लेता है तो जिसके नाम खेती है, उसी के नाम से फसल बीमा किया जाएगा. यही नहीं सरकार ने यह भी साफ किया कि यदि कोई बैंक प्रीमियम की कटौती करके बीमा पोर्टल पर अपलोड नहीं करवाते तो किसान को होने वाले नुकसान की भरपाई संबंधित बैंक करेंगे.

ABOUT THE AUTHOR

...view details