औरैया : एक ओर केंद्र सरकार भारत को डिजिटल इंडिया बनाने की कवायत में जुटी दिखाई देती है, लेकिन फफूंद रेलवे स्टेशन अभी भी पुराने ढर्रे पर चलता नजर आ रहा है. फफूंद रेलवे स्टेशन को ए ग्रेड का दर्जा तो प्राप्त हो गया है लेकिन यात्री सुविधाओं और ट्रेन ठहराव संबंधी समस्या बरकार है.
बदहाली की कगार पर ए ग्रेड दर्जा प्राप्त फफूंद रेलवे स्टेशन - auraiya
कानपुर-इटावा के मध्य फफूंद रेलवे स्टेशन सर्वाधिक आय देने वाला स्टेशन है, लेकिन इसकी दुर्दशा किसी छोटे से स्टेशन जैसी ही है. ए ग्रेड का दर्जा सिर्फ कागजातों में ही दिख रहा है.
सरकार स्वछता के नाम पर लाखों रुपए खर्च कर लोगों को जागरूक करने का काम कर रही है. लेकिन फफूंद रेलवे परिसर में गंदगी सरकार की मंशा पर चोट लगाने का काम कर रही है. सरकारी उपेक्षाओं का शिकार होता फफूंद रेलवे स्टेशन अपनी बदहाली पर आँसू बहाता दिखाई दे रहा है. सुरक्षा के नाम पर बैरिकेटिंग की भी सुविधा नहीं है. स्टेशन परिसर में जानवर घूमते दिखाई देते हैं और शौचालयों में ताला लटकता रहता है.
इतना ही नहीं स्टेशन भर में खाने पीने के लिए कोई भी कैंटीन नहीं है और न ही यात्रियों के लिए प्रतीक्षालय है. गैल एनटीपीसी में कार्यरत अधिकारी कर्मचारी आये दिन आना जाना बरकरार रखते हैं पर ट्रेनों के अभाव में वह खुद के वाहन से ही चलते हैं.