अमेठी:यूपी विधानसभा चुनाव को लेकर घमासान जारी है. जहां एक-एक सीट पर नेता चुनावी बिसात बिछाने में जुट गए हैं. इसमें से एक सीट है अमेठी विधानसभा की. ये सीट प्रदेश की राजनीति में काफी अहम मानी जाती है. यहां की राजनीति ज्यादातर राजपरिवार के इर्द गिर्द ही रहती है.
अमेठी विधानसभा से अब तक 9 बार राज परिवार प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. वर्तमान समय में राजघराने की बहू गरिमा सिंह बीजेपी से अमेठी सीट का प्रतिनिधित्व कर रही हैं. इस बार देखना बड़ा दिलचस्प होगा कि क्या इस सीट से दूसरी बार महारानी गरिमा सिंह जीत दर्ज करती हैं या अमेठी की अवाम सत्ता की चाभी किसी अन्य को सौंपेगी. हालांकि इसके पहले पूर्व केंद्रीय मंत्री और अमेठी के राजा संजय सिंह और रानी अमिता सिंह को इस सीट से हार का सामना करना पड़ा है.
अमेठी गांधी परिवार का चुनावी क्षेत्र होने के चलते विश्व की राजनीतिक पटल पर चर्चित है. इस विधान सभा का गठन 1962 में हुआ था. यह सीट कांग्रेस का गढ़ मानी जाती थी. यहां लगभग 30 साल तक कांग्रेस ने अपना परचम लहराया. फिलहाल अमेठी विधान सभा की राजनीति राज परिवार के इर्द गिर्द ही घूमती रहती है. इस समय भी यहां राजघराने से महरानी गरिमा सिंह बीजेपी से विधायक है. उन्होंने 2017 में सपा के विधायक गायत्री प्रसाद प्रजापति को चुनाव में हराया था. जिन्हें हाल में ही न्यायालय ने गैंग रेप के आरोप में आजीवन कारावास की सजा सुनाई है.
कांग्रेस का गढ़ कही जाने वाली अमेठी अब पूरी तरह से भगवामय हो चुकी है. बीजेपी से विधान सभा का प्रतिनिधित्व राजघराने की बहू गरिमा सिंह कर रही हैं. रानी गरिमा सिंह ने अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत वर्ष 2017 के चुनाव से किया था.
जातीय समीकरण रहता है प्रभावी
अमेठी में जातीय समीकरण प्रभावी रहता है. यहां सामान्य वर्ग के मतदाताओं की संख्या सर्वाधिक है. वहीं, दूसरे पायदान पर पिछड़ा वर्ग और तीसरे पर अनुसूचित जाति के मतदाता हैं. अल्पसंख्यक मतदाताओं की संख्या आंशिक है. जातीय समीकरण की बात करें तो यहां 1962 से से लेकर अब तक 9 बार सामान्य वर्ग के लोग चुनाव जीते है. वहीं, 2 बार पिछड़े वर्ग के लोगों ने अमेठी का प्रतिनिधित्व किया है.
राज परिवार का रहा है दबदबा
अमेठी की राजनीति में राजपरिवार हमेशा से हावी रहा है. भाजपा या कांग्रेस दोनो पार्टियों में राज परिवार ही समय-समय पर चुनाव जीतता रहा है. यहां की जनता ने दलगत भावना से उठकर राज परिवार के हाथों में ही प्रतिनिधित्व सौंपने में विश्वास किया है. 1977 से अब तक राज परिवार 7 बार अमेठी विधान सभा से प्रतिनिधित्व कर चुका है. राज परिवार में राजनीति की शुरुआत 1977 में महराज रणंजय सिंह ने किया था. अब देखना दिलचस्प होगा कि आगामी विधान सभा चुनाव में पुनः राज परिवार के हाथ में सत्ता जाएगी या 2012 की तरह किसी अन्य को चुनाव जीतवाकर जनता सदन में भेजेगी.
ओवर ब्रिज और बाईपास का बीजेपी को मिलेगा लाभ
विकास कार्यों की बात करें तो अमेठी में 2 बड़ी समस्याएं थी. जिनसे लोगों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता था. इनमें एक प्रमुख समस्या थी काकवा रोड पर रेलवे क्रासिंग का ओवर ब्रिज. यहां विधायक गरिमा सिंह के अथक प्रयास से सरकार ने इस समस्या को संज्ञान लिया. ओवर ब्रिज पर युद्ध स्तर पर कार्य चल रहा है जो जल्द ही बन जाएगा. इस ओवर ब्रिज के पूर्ण हो जाने से लगभग 40 हजार से अधिक लोगों को लाभ मिलेगा. छात्र-छात्राएं सहित आम लोगों को अब क्रासिंग पर जाम में नहीं रेंगना पड़ेगा.