अमेठीःविश्व की राजनीतिक पटल पर चर्चित अमेठी का अतीत से ही खासा महत्व रहा है. जहां राजीव गांधी अमेठी से चुनाव लड़ कर देश के प्रधान मंत्री बने, वहीं 90 के दशक से यूपी विधान परिषद सदस्य के चुनाव में अमेठी के दो राजनेताओं का दबदबा कायम है. मंगलवार को आए एमएलसी चुनाव के नतीजों में पांचवीं बार जामो के राजा अक्षय प्रताप सिंह उर्फ गोपाल जी प्रतापगढ़ के एमएलसी बने. वहीं जामों के शैलेंद्र प्रताप भी पांचवीं बार सुल्तानपुर-अमेठी के एमएलसी का चुनाव जीत कर इतिहास कायम रखा.
भाजपा नेता और सुलतानपुर के एमएलसी शैलेंद्र प्रताप सिंह मूल रूप से अमेठी के जामो थाना अंतर्गत अचलपुर के निवासी हैं. सुल्तानपुर के कोतवाली देहात थाना क्षेत्र के उतरी में उनका नानिहाल है. उनकी मां अपने माता-पिता की अकेली संतान थी. ऐसे में नाना की विरासत संभालने शैलेंद्र प्रताप सिंह यहां निवास करने लगे. पिता जीत बहादुर सिंह आर्मी में सूबेदार थे. सेवानिवृत होने के बाद वो पैतृक गांव में ही निवास करते रहे. पांच साल पहले 83 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया. शैलेंद्र प्रताप सिंह के भाई दिनेश कुमार सिंह स्वास्थ्य महकमें में ब्लॉक पर संविदा कर्मी हैं. उनका कोई राजनीतिक बैक ग्राउंड नहीं है. पहली बार शैलेंद्र प्रताप सिंह ने 1990 में एमएलसी चुनाव जनता दल के टिकट पर लड़ा और जीता था.
वरिष्ठ पत्रकार असगर नकी ने बताया कि 1990 में सुलतानपुर में पूर्व केंद्रीय मंत्री केएन सिंह का काफी दबदबा हुआ करता था, वो कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव थे. उनके भाई स्व. राज किशोर सिंह टिकट मांग रहे थे, जिन्हें टिकट न देकर पार्टी ने स्व. डॉ. केपी सिंह को टिकट दिया था. इस पर राजकिशोर सिंह बागी हो गए, उन्हें कम्युनिस्ट पार्टी ने समर्थन किया. खुद हरकिशन सिंह सुरजीत जैसे नेता प्रचार को आए थे. उधर जनता दल से शैलेंद्र प्रताप सिंह डटे ही थे, उन्हें जनता दल के सांसद राम सिंह और इस दल के विधायक इंद्र भद्र सिंह, अशोक पांडे व सूर्यभान सिंह का उन्हें भर पूर साथ मिला. जून माह में हुए इस चुनाव में नतीजा आया तो शैलेंद्र सिंह ने पहली ही बार में जीत दर्ज कराई थी. विजय जुलूस निकला तो लंभुआ के दुधापुर निवासी रमेश सिंह की खुली लाल जीप में शैलेंद्र सिंह के साथ यह सभी नेता गाड़ी पर निकले और खुशियां मनाई थी.
शैलेंद्र सिंह वर्ष 1996 में निर्दल चुनाव लड़कर जीता. जीत पर जीत मिली तो उनका कद बढ़ गया. प्रतापगढ़ के कुंडा के विधायक रघुराज प्रताप सिंह के वो सीधे संपर्क में आए और समाजवादी पार्टी की सदस्यता ली. 2003 में उनके सिंबल पर विधान परिषद सदस्य चुने गए. वर्ष 2004 में सपा ने उन्हें लोकसभा का प्रत्याशी बनाया. जिसमें उन्हें बहुजन समाजवादी पार्टी (बसपा) के मोहम्मद ताहिर खां ने उन्हें पराजित कर दिया था. शैलेंद्र प्रताप को 1,59,754 वोट मिले थे. वर्ष 2010 में उन्होंने पुनः विधान परिषद का चुनाव लड़ा, मगर बसपा लहर में उन्हें अशोक सिंह से हार का सामना करना पड़ा. 2016 के चुनाव में शैलेंद्र प्रताप सिंह ने फिर से विधान परिषद का चुनाव लड़ा और 720 वोटों से बीजेपी के कमलेश चंद्र त्रिपाठी को हराकर जीत दर्ज कराई थी. 16 जनवरी 2022 को वो सपाई से भाजपाई बन गए. भाजपा ने उन्हें टिकट दिया तो एक बार फिर उन्होंने न सिर्फ अपना पद बचाया बल्कि पहली बार एमएलसी चुनाव में कमल खिला दिया.
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