अमेठी:जनपद में एक तरफ जनप्रतिनिधि विकास की गंगा बहाने की बात करते हैं तो वहीं दूसरी तरफ 2 साल से अधिक समय से लाखों की आबादी टूटे हुए पुल से जान जोखिम में डालकर अपना सफर पूरा कर रही है. यहां के ग्रामीणों ने टूटे हुए पुल की शिकायत कमिश्नर से लेकर डीएम और मुख्यमंत्री तक से की है, लेकिन यह पुल कब बनेगा, इसका जवाब किसी के पास नहीं है.
लोक निर्माण विभाग की दिखी लापरवाही
दरअसल, मामला अमेठी के संग्रामपुर ब्लॉक का है. यहां लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों की लापरवाही और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता से विशेश्वरगंज-संग्रामपुर को जोड़ने और सिद्धपीठ मां कालिकन धाम तक पहुंचाने वाले मार्ग पर करीब दो साल से अधिक समय से पुल टूटा हुआ है, लेकिन लोक निर्माण विभाग सिर्फ कागजों पर लड़ाई लड़ रहा है.
पुल का एक हिस्सा धंसा
पिछले दो सालों से अधिक समय से ये मार्ग पूरी तरीके से बंद है, क्योंकि इस मार्ग पर बने पुल का एक हिस्सा धंस गया है और यह कभी भी गिर सकता है. आलम यह है कि लोग अपनी जान जोखिम में डालकर इस पुल को पार करते हैं. इस रास्ते से गुजरने वाले लोग 10 किलोमीटर अलग से लंबा रास्ता तय करते है. यहां के ग्रामीणों ने इस मामले को लेकर स्थानीय विधायक और डीएम से कई बार शिकायत की, लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई.
मौत बनकर मंडरा रहा 'विकास'
ग्रामीणों ने लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों से भी बातचीत की, लेकिन किसी ने उनकी बात नहीं सुनी. कुम्भकर्णी नींद में सोने वाले विभागीय अधिकारियों ने कई बार लोगों का गुस्सा शांत करने के लिए टूटे हुए पुल का निरीक्षण भी किया, लेकिन हालात जस के तस बने हुए हैं. जैसे जनप्रतिनिधियों को खबर ही नहीं है कि अमेठी में वो जिस विकास का दावा कर रहे हैं, आज वही विकास मौत बनकर लोगों के सामने मंडरा रहा है.