अमेठी:नगर से छह किमी दूर प्रतापगढ़-जगदीशपुर मार्ग पर ताला गांव के पास स्थित मुकुटनाथ धाम शिवभक्तों की आस्था का केंद्र है. पांडवों द्वारा स्थापित इस शिवमंदिर में सावन में दूर-दराज के भक्तों का जमावड़ा होता है. मान्यता है कि बाबा मुकुटनाथ के जलाभिषेक से भक्तों की मन्नतें पूरी होती हैं.
जनपद में स्थित बाबा मुकुटनाथ बाबा धाम का मंदिर अपने अंदर बहुत से रहस्य छुपाए हुए है. स्थानीय लोगों का कहना है कि यह मंदिर किसी ने स्थापित नहीं किया है, बल्कि यह मंदिर स्वयं प्रकट हुआ है. मंदिर में स्थापित मूर्तियां अंग्रेजों के समय हुए आक्रमण में खण्डित हो गईं थी.
जानें कैसे हुआ बाबा मुकुटनाथ धाम का उदय
क्षेत्र में प्रचलित कथाओं की माने तो प्राचीन काल में यहां घनघोर जंगल हुआ करता था. जब पांडवों को 12 वर्षों का वनवास हुआ तो उन्होंने इसी जंगल में शिवलिंग की स्थापना कर उन्हें अपना मुकुट समर्पित कर दिया और वे इस शिवलिंग पर उसकी रक्षा का भार देकर स्वयं जंगल में रहते थे.
प्राचीन है बाबा मुकुटनाथ का धाम
शिवमंदिर के बगल स्थित टीले पर भर राजाओं का किला स्थापित होने के प्रमाण मिलते हैं. कुछ वर्ष पूर्व हुई खुदाई में जो अवशेष और सिक्के प्राप्त हुए हैं, वे नौवीं शताब्दी के आसपास के बताए जाते हैं. यह मंदिर बहुत ही प्राचीन है.