अमेठी: राम मंदिर निर्माण मध्यस्थता के माध्यम से सुलझाने के आदेश पर सगरा आश्रम के पीठाधीश्वर मौनी महाराज ने टिप्पणी की है. उन्होंने कहा कि अगर मध्यस्थता के माध्यम से राम मंदिर निर्माण का रास्ता निकल सकता था तो बहुत पहले हो गया होता. राम मंदिर निर्माण तभी हो पाएगा जब कोर्ट अपना आदेश जारी करेगा या सरकार राम मंदिर के लिए अध्यादेश ले आएगी.
इस दौरान मौनी महाराज ने कहा कि कोर्ट का निर्णय जो भी होता है वह विचारणीय अवश्य होता है, लेकिन सफलता कितनी मिलेगी वो समय अवश्य बताता है. उन्होंने कहा कि लगता है कि मध्यस्थता पर न्ययालय ने जो पक्ष अपनाया है वह एक संधि के लिए अच्छा हो सकता है. लेकिन क्या रामलला के मंदिर के लिए यह पहल कारगार होगा ?. बहुत बार संतों, शंकराचार्य राजनैतिक लोगों ने यह पहल करके निष्फलता को स्वीकार कर लिया है. उन्होंने कहा कि जैसे पाकिस्तान भारत के संधि के प्रस्तावों को स्वीकार करके आतंकवाद बन्द नहीं करता, वैसे ही सियासत करने वाले लोग कभी भी अयोध्या में राम मंदिर बन जाने के पक्ष में कोई भी सफल टिप्पणी नहीं करेंगे.
उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति रामलला के नाम पर सियासत करते हुए दिखाई पड़ रहा है. ऐसी परिस्थितियों में हाइकोर्ट का जो पूर्वक निर्देश था कि रामलला विराजमान है. हाइकोर्ट को कठिन निर्णय लेते हुए यह निर्णय कर देना चाहिए कि रामलला समस्त भूखण्डों के स्वामी हैं और अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण होना चाहिए. उन्होंने कहा कि वार्ता आने वाले दिनों में निष्फल दिखाई पड़ेगी. राम मंदिर केवल न्यायपालिका और अध्यादेश के बल पर बन सकता है.