अमेठी: केंद्र सरकार कीमहत्वाकांक्षी योजना महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी यानी मनरेगा के प्रति मजदूरों में असंतोष की भावना है. वर्ष में किसी भी ग्रामीण परिवार के वयस्क सदस्यों को 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराने के लिए सरकार ने इस योजना को लागू किया था. पर इस योजना के तहत प्रतिदिन काम न मिल पाने से मजदूर मुसीबत में है.
मनरेगा की मुसीबत, 175 रुपये में कैसे चलेगा परिवार - 100 दिन का रोजगार
100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराने वाली केंद्र सरकार की योजना मनरेगा को लेकर गरीब और मजदूरों में असंतोष है. न्यूनतम मजदूरी 175 रुपये मिलने से कई परिवारों को आर्थिक रूप से समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.
न्यूनतम मजदूरी 175 रुपये मिलने से कई परिवारों को आर्थिक रूप से समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. मनरेगा में कम पैसा और प्रतिदिन काम न मिलने से गरीब परिवार मुश्किल में हैं. साथ ही जिन लोगों को वास्तविक में काम मिलना चाहिए उनको काम नहीं मिल रहा उनकी जगह ऐसे लोग लाभ उठा रहे हैं जिनको इस योजना का लाभ नहीं मिलना चाहिए.
मनरेगा मजदूरों का कहना है मजदूरी बहुत कम है इतनी कम मजदूरी में परिवार का पेट पालना कठिन है. जिसकी वजह से बाहर भी मजदूरी करने पड़ता है किसी तरह से घर का खर्चा चलता है. मनरेगा से मिलने वाला पैसा कुछ समय से लेट मिल रहा है. ऐसे में एक परिवार चलाना कठिन है. ही ग्राम प्रधान सरकारी खामियों को गिना रहे हैं. काम न मिलने के सवाल को बेबुनियाद बताते हुए कहा कि नियमित रूप से काम मिल रहा है