अमेठी:अमेठी की राजनीति में राजपरिवार का पुराना इतिहास रहा है. अमेठी राजपरिवार का आजाद भारत में हुए पहले चुनाव में ही राजनीति में आगाज हो गया था. पहली बार राजपरिवार के राजा रणंजय सिंह निर्दलीय विधायक चुने गए थे. तब से उतार चढ़ाव के बीच अब तक राज परिवार का अमेठी की राजनीति में सीधा दखल बना हुआ है. इस समय महारानी गरिमा सिंह बीजेपी से अमेठी की विधायक हैं.
अमेठी राज घराने में आजाद भारत के बाद हुए चुनाव में राजनीतिक शुरुआत हो गई. अमेठी के राजा रणंजय सिंह ने 1969 में जनसंघ के टिकट पर चुनाव जीता था. फिलहाल अगली बार वे पार्टी बदल कर 1974 में कांग्रेस के टिकट से चुनाव लड़े. इस चुनाव में भी उन्होंने जीत दर्ज की. वहीं, राजा रणंजय सिंह 1962 से 1967 तक अमेठी से कांग्रेस के सांसद भी रहे. रणंजय सिंह कोई भी चुनाव नहीं हारे थे. रणंजय सिंह के बाद उनकी राजनीतिक विरासत अमेठी नरेश डॉ. संजय सिंह ने संभाल ली.
अमेठी नरेश डॉ. संजय सिंह कांग्रेस के टिकट से 1980 में अपने राजनीतिक कैरियर की शुरआत की. 1985 में भी डॉ. संजय सिंह ने कांग्रेस से चुनाव जीता. इस प्रकार वे 1989 तक अमेठी से विधायक चुने गए. 1989 में डॉ. संजय सिंह जनता दल से एमएलए का चुनाव कांग्रेस के हरिचरण यादव हार गए. 80 के दशक में डॉ. संजय सिंह का राजनीति में सिक्का चलता था. तत्कालीन सरकार में कई विभागों के मंत्री भी रह चुके हैं. 1998 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने संजय सिंह को टिकट दिया. डॉ. संजय सिंह ने कांग्रेस के कैप्टन सतीश शर्मा को चुनाव हरा कर लोक सभा पहुंच गए. अगले साल हुए लोकसभा चुनाव में सोनिया गांधी ने अमेठी से पर्चा भरा और संजय सिंह को हार का सामना करना पड़ा था. डॉ. संजय सिंह 2003 में एक बार फिर कांग्रेस में वापस लौटे. 2009 में उन्होंने कांग्रेस के टिकट से सुलतानपुर से जीत हासिल की. बाद में कांग्रेस ने उन्हें राज्यसभा भेजा दिया. लेकिन कार्यकाल खत्म होने से पहले वह जुलाई 2019 में कांग्रेस का साथ छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए.
संजय सिंह की दूसरी पत्नी अमिता सिंह वर्ष 2002 में भाजपा से विधानसभा का चुनाव लड़कर चुनाव जीती. पुनः मध्यावधि चुनाव 2004 में कांग्रेस से चुनाव जीती. इसके बाद कांग्रेस से ही 2007 में चुनाव जीती. वर्ष 2012 के चुनाव में समाजवादी पार्टी के गायत्री प्रसाद प्रजापति से चुनाव हार गई.