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गांव में शहरी इश्क: 40 साल लिव-इन में रहे, बेटे-पोते होने के बाद अब रचाई शादी - अमेठी रिलेशनशिप खबर

अमेठी के गांव खुटहना में 20 मई को एक अनोखी शादी हुई. बुजुर्ग दंपति की इस शादी में एक ही घर के लोग घराती भी थे और बाराती भी. परिवार की तीन पीढ़ी बुजुर्गों की शादी की गवाह बनी. खास बात ये है कि इस दंपति के बेटे और पोते भी बाराती में शामिल थे.

बुजुर्ग दंपती की शादी.
बुजुर्ग दंपती की शादी.

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Published : Jun 22, 2021, 5:53 PM IST

Updated : Jun 23, 2021, 12:24 PM IST

अमेठी:कौन कहता है कि लिव-इन रिलेशनशिप सिर्फ आधुनिक और शहरी प्यार की पहचान है. अमेठी के एक बुजुर्ग प्रेमी युगल ने तो आधुनिक इश्क को भी पीछे छोड़ दिया. करीब 40 साल पहले दोनों को उस वक्त प्यार हुआ, जब सड़क चलते किसी लड़की को नजर उठाकर देखना भी सामाज को गंवारा नहीं होता था. लेकिन अमेठी के खुरटना गांव के रहने वाले मोतीलाल और मोहिनी ने न सिर्फ एक-दूसरे से प्यार किया, बल्कि बिना शादी के बंधन में बंधे साथ भी रहने लगे. दोनों के इस रिश्ते को समाज के ताने भी सुनने को मिले, लेकिन इन्होंने बिना परवाह किए साथ रहना शुरू कर दिया. बितते समय के साथ समाज भी दोनों के रिश्ते को स्वीकार कर चुका था. दोनों प्रेमी युगल का परिवार भी बढ़ता गया. बेटे हुए, फिर पोते-पोती हुए, लेकिन दोनों ने शादी नहीं की. अब 40 साल बाद उनकी तीन पीढ़ियां बतौर बाराती शामिल हुईं. घराती वाली जिम्मेदारी भी बुजुर्ग दंपति के परिवारवालों ने ही निभाई. रिवाज के हिसाब से रिश्तेदार और गांव के लोग इस यादगार शादी के साक्षी बने.

बीते रविवार को अमेठी के खुरटना गांव में 65 साल के मोतीलाल और 60 साल की मोहिनी ने सात फेरे लिए. जानकारी के मुताबिक, दोनों करीब 40 साल से साथ रह रहे थे. अपने शुरुआती दिनों में उन्होंने परंपरा के मुताबिक शादी नहीं की. फिर परिवार बढ़ता चला गया. वक्त बीतता गया और इस प्रेमी युगल का पारिवारिक कुनबा बेटे और पोतों से बढ़ता गया. लंबे अरसे के बाद भी उन्हें शादी की जरूरत महसूस नहीं हुई. 40 साल बाद जब मोतीलाल और मोहिनी ने उम्र के इस पड़ाव में शादी का फैसला किया तो लोग हैरान रह गए.

बुजुर्ग दंपति की शादी.

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लिव-इन में रह रहे बुजुर्ग दंपती की शादी

इस दिलचस्प कहानी में सवाल यह है कि आखिर इस प्रेमी युगल ने 40 साल बाद शादी करने का फैसला क्यों किया? इस शादी के पीछे हिंदू संस्कृति की एक मान्यता है. मोतीलाल बताते हैं कि शुरुआती दिनों में रीति-रिवाजों के महत्व के बारे में उन्हें किसी ने नहीं बताया. बेटों की शादियां हुईं तब उन्हें समझ आया कि वैदिक संस्कृति में शादी सिर्फ एक समारोह नहीं है. इसका समाजिक और आध्यात्मिक महत्व भी है. उन्हें पता चला कि शादी के बिना उनका परलोक नहीं सुधर सकता. और तो और मौत के बाद बच्चों की ओर से किया गया पिंडदान भी नहीं मिलेगा. इस सामाजिक मान्यता के कारण उन्होंने शादी करने का फैसला किया.

बुजुर्ग दंपती की शादी.

जब बच्चों को दी इस फैसले की जानकारी

उन्होंने अपने इस फैसले की जानकारी अपने बच्चों को दी. जब बच्चों को अपने पिता की इच्छा का पता चला तो वे सभी शादी को यादगार बनाने में जुट गए. उन्होंने इस शादी के लिए बाकायदा कार्ड छपवाए. रिश्तेदारों और गांव वालों को आमंत्रित किया. घर को इस तरह सजाया गया जैसे शादी समारोहों के लिए सजाते हैं. लाइट लगवाई गई. बहुओं और गांव की महिलाओं ने मंगल गीत गाए. इस तरह 40 साल पुराना लिव-इन रिलेशनशिप वैवाहिक बंधन और सामाजिक मान्यता में बदला. मोतीलाल और मोहिनी का विवाह वैदिक रीति के अनुसार काफी धूमधाम से हुआ. अक्सर नव दंपति फेरों के बाद बुजुर्गों का आशीर्वाद लेते है, मगर इस दंपति से शादी के बाद उनके चार बेटे, बहू और नाती-पोतों ने आशीर्वाद लिया. पिछले कई दिनों से यह शादी अमेठी में चर्चा का विषय बना है.

Last Updated : Jun 23, 2021, 12:24 PM IST

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