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अमेठी: अपनी मांगों को लेकर एम्बुलेंस कर्मियों ने किया कार्य बहिष्कार - corona latest news

यूपी के अमेठी में 102 और 108 एम्बुलेंस कर्मियों ने कार्य बहिष्कार किया है. ऐसे में स्वास्थ्य महकमे से जुड़े लोग भी लगातार सरकार से सुरक्षा किट उपलब्ध कराने की मांग कर रहे हैं.

अपनी मांगों को लेकर एम्बुलेंस कर्मियों ने किया कार्य बहिष्कार
अपनी मांगों को लेकर एम्बुलेंस कर्मियों ने किया कार्य बहिष्कार

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Published : Apr 1, 2020, 2:25 PM IST

अमेठी: देशभर में कोरोना से संक्रमित मरीजों का आंकड़ा तेजी से बढ़ता जा रहा है. इसकी रोकथाम के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पूरे देश में सम्पूर्ण लॉकडाउन का एलान किया है. ऐसे में स्वास्थ्य महकमे से जुड़े लोग भी लगातार सरकार से सुरक्षा किट उपलब्ध कराने की मांग कर रहे हैं.

102 और 108 एम्बुलेंस कर्मियों कार्य बहिष्कार किया
कोरोना वायरस के संभावित खतरे से जूझते 108 और 102 एंबुलेंस कर्मियों ने भी सरकार से पीपीई किट, मास्क, सेनीटाइजर, ग्लब्स व्यवस्था कराने की मांग की. इतना ही नहीं पिछले दो महीने से इनको वेतन भी नहीं दिया गया. जिसकी वजह से 102 और 108 एम्बुलेंस कर्मियों ने पूरे जनपद में कार्य बहिष्कार शुरू कर दिया है.

किट न मिलने से एंबुलेंस कर्मियों बताया संक्रमण का खतरा
108 और 102 एंबुलेंस का संचालन करने वाली कंपनी जीवीके (ईएमआरआई) कंपनी ने अपने कर्मियों को कोरोना वायरस से बचाव के लिए अभी तक कोई किट नहीं दिया है. एंबुलेंस कर्मियों ने बताया कि हम हमेशा ड्यूटी के लिए तैयार रहते हैं. कब कहां जाना पड़ जाए कोई भरोसा नहीं है. ऐसे में हम हर तरह के मरीजों के संपर्क में भी आते हैं. इससे हमारे अंदर भी संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ जाता है. उन्होंने बताया कि हमें पिछले दो महीनों से वेतन नहीं मिला है. अगर समय से वेतन मिल जाए तो हम अपने पैसे से ही किट खरीद लें.

दो महीने से एम्बुलेंस कर्मियों को बकाया मानदेय नहीं दिया गया
सरकार द्वारा स्वास्थ्य कर्मियों के 50 लाख बीमा में एम्बुलेंस कर्मियों को नहीं शामिल किया गया. जिले की 108 और 102 की 64 एम्बुलेंस पर 220 कर्मियों ने कार्य बहिष्कार किया हैं. कर्मचारियों ने सरकार से मांग की थी कि संस्था द्वारा उत्पीड़न से त्रस्त कर्मियों को एनएचएम में समायोजित किया जाए. पिछले दो महीने से एम्बुलेंस कर्मियों को बकाया मानदेय नहीं दिया जा रहा है. एक महीने का मानदेय दिया भी गया, तो दो, तीन हजार रुपये ही दिया गया.

हमने 25 मार्च से ही शासन प्रशासन को अवगत कराना शुरू कर दिया था कि हमारे पास सुरक्षा के कोई उपकरण नहीं है. हम लोगों का सात महीने का पीएफ अभी तक नहीं जमा हुआ है. हम चाहते हैं कि सरकार हम लोगों को कंपनी से हटाकर एनएचएम में शामिल करे.
-राजवंत सिंह, जिलाध्यक्ष, जीवन दायनी 108 व 102 यूनियन

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