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मुश्किलों पर भारी भक्तों की आस्था, त्रेता युग से जुड़ी है श्रवण धाम की कथा - seven kosi parikrama

श्रवण कुमार के निर्वाण स्थल श्रवण धाम की सात कोसी परिक्रमा शुरू हो चुकी है. दूर दराज से आए भक्त पवित्र श्रवण धाम की परिक्रमा कर रहे हैं.

सात कोसी परिक्रमा.
सात कोसी परिक्रमा.

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Published : Nov 26, 2020, 3:32 PM IST

Updated : Sep 22, 2022, 1:31 PM IST

अंबेडकरनगर:मातृ-पित्र भक्त श्रवण कुमार के निर्वाण स्थल श्रवण धाम की सात कोसी परिक्रमा शुरू हो चुकी है. दूर-दराज से आए भक्त पवित्र श्रवण धाम की परिक्रमा कर रहे हैं. रास्तों के संकट पर आस्था भारी है. कंकड़ीले रास्ते पर भक्त नंगे पैर परिक्रमा कर रहे हैं. लोगों की मान्यता है कि इस परिक्रमा के करने से उनके पुत्र भी श्रवण की तरह मातृ-पित्र भक्त होंगे.

जिला मुख्यालय अकबरपुर के पश्चिमी छोर पर पवित्र तमसा नदी के किनारे श्रवण धाम स्थित है. पौराणिक ग्रन्थों के अनुसार, ऐसी मान्यता है कि त्रेता युग में श्रवण कुमार अपने माता पिता को कांवर में बिठा कर चारों धाम पर निकले थे. माता पिता को पानी पिलाने के लिए वह तमसा नदी से जल लेने गए थे. उसी समय शिकार पर निकले अयोध्या के राजा दशरथ का तीर लगने से श्रवण कुमार की मौत हो गई थी. तब से यह स्थान श्रवण धाम के नाम से जाना जाता है और भक्त इसकी परिक्रमा करते हैं.

श्रवण धाम पहुंचती है सात कोसी परिक्रमा
श्रवण धाम की सात कोसी परिक्रमा शिवबाबा से शुरू होकर अकबरपुर नई सड़क से पहितीपुर होते हुए श्रवण धाम पहुंचती है. इस बार कोरोना कि वजह से भक्तों की संख्या कम है लेकिन भक्त छोटी-छोटी टोली में परिक्रमा कर रहे हैं. परिक्रमा पथ बेहद खराब है, फिर भी भक्त नंगे पैर ही इन रास्तों से गुजर रहे हैं. भक्तों का कहना है कि डगर कठिन है. लेकिन हमारी आस्था मजबूत हैं.

Last Updated : Sep 22, 2022, 1:31 PM IST

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