अम्बेडकरनगर: जिले के टांडा नगर पालिका के करीब 96 हजार लोग चैन से सो नहीं पा रहे हैं. बताया जा रहा है कि नगरपालिका ने वर्ष 2010 में हाउस टैक्स लगाया था, जिसे बोर्ड ने पारित कर दिया. बावजूद इसके चुनावी फायदे के लिए तत्कालीन चेयरमैन ने नगरवासियों को यह आश्वासन दिया कि इस टैक्स को लागू नहीं किया जाएगा.
रहनुमाओं ने बनाया करोड़ों का कर्जदार. कमिश्नर को भेजा टैक्स खत्म करने का प्रस्ताव
जब सत्ता बदली तो नए चेयरमैन हाजी इफ्तखार ने इस टैक्स को खत्म करने के लिए प्रस्ताव भेजा, लेकिन प्रस्ताव खारिज हो गया. इसके बाद भी नागरिकों से टैक्स की वसूली नहीं हुई. करीब ढाई साल पहले जब चुनाव हुआ तो फिर तख्ता पलट हुआ और रेहान अंसारी चेयरमैन बने, लेकिन फिर भी टैक्स की वसूली जैसी कोई बात नहीं कही गई.
दस सालों का टैक्स वसूल रही नगरपालिका
अब बीते कुछ दिनों से 10 सालों का टैक्स 20 प्रतिशत सरचार्ज के साथ वसूलने की बात नगरपालिका द्वारा कही जा रही है. अपने रहनुमाओं की दगाबाजी से जनता आहत है. नगरवासियों का कहना है कि पहले हमसे कहा गया कि टैक्स खत्म हो गया है, अब अचानक हमसे 10 साल का हाउस टैक्स और वाटर टैक्स मांगा जा रहा है. समझ नहीं आ रहा हम क्या करें.
टांडा नगरपालिका के ईओ ने दी जानकारी
वहीं इस पूरे मामले पर टांडा नगरपालिका के ईओ मनोज कुमार सिंह का कहना है कि हाउस टैक्स और वाटर टैक्स नगर पालिका का अनिवार्य टैक्स है, इसे खत्म नहीं किया जा सकता. एक बार पहले बोर्ड ने खत्म करने का प्रस्ताव भेजा था, लेकिन कमिश्नर ने इसे खारिज कर दिया था. बोर्ड चेयरमैन के अधीन होता है और प्रस्ताव भेजने से टैक्स खत्म नहीं होता.