अंबेडकर नगर:निर्भया कांड के बाद हिंसा से पीड़ित महिलाओं को मदद मुहैया कराने के लिए केंद्र सरकार ने हर जिले में वन स्टॉप सेंटर खोलने का निर्देश दिया था. शासन की बेबसाइट पर यह सेंटर संचालित भी हो गया, लेकिन जमीनी धरातल पर यह योजना अभी रसातल में ही है. सरकार की यह महत्वपूर्ण योजना जिले में सिर्फ फाइलों की शोभा ही बढ़ा रही है. इस योजना के प्रति शासन की उदासीनता और जिम्मेदारों की लापरवाही का आलम यह है कि अभी तक न तो इसका भवन बना और न ही कर्मचारियों की नियुक्ति ही हुई है.
केंद्र सरकार ने इस मंशा से वन स्टॉप सेंटर की शुरुआत की थी कि इससे एक ही जगह हिंसा से पीड़ित महिलाओं को कानूनी मदद के साथ-साथ रहने की भी सुविधा मिलेगी. सरकारी फाइलों में तो जिले में वन स्टॉप सेंटर संचालित कर दिया गया है, लेकिन सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना की हकीकत परखने के लिए जब ईटीवी भारत की टीम ग्राउंड जीरो पर पहुंची तो सारी हकीकत सामने आ गई.
जिले में अभी तक वन स्टॉप सेंटर का संचाल नही हो सका है. दिखावा मात्र के लिए जिला अस्पताल से तकरीबन 12 किमी दूर महामाया राजकीय एलोपैथिक मेडिकल कॉलेज के ओपीडी भवन के दो कमरों में बैनर टांग कर वन स्टॉप सेंटर का कार्यालय खोल दिया गया. हालांकि इसमें बैठने वाले कर्मचारी हैं ही नहीं. कर्मचारी होंगे भी कैसे वन स्टॉप सेंटर के लिए जिले में कुल 11 पद सृजित हैं, लेकिन अभी तक एक भी कर्मचारी की नियुक्ति नहीं हुई है. इस कमरे में डायल 181 महिला हेल्पलाइन के कर्मचारी बैठकर अपने कार्यों का संचालन कर रहे हैं.