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जॉब कार्ड मिलने के बाद भी घर बैठे हैं मनरेगा मजूदर, इन्हें कोई नहीं दे रहा काम - जॉब कार्ड धारक

विभाग से मिले आंकड़ों के मुताबिक जनपद में 2 लाख 32 हजार जॉबकार्ड धारक हैं, जिनमें से सिर्फ 1 लाख 10 हजार के करीब लोग ही सक्रिय मजदूर हैं. शेष लोग निष्क्रिय हैं. बताया जा रहा है कि जनपद में लगभग 342 मजदूर ही ऐसे हैं, जिन्हें सौ दिन का कार्य मिला

मनरेगा में कार्य न मिलना मशीनरी का प्रयोग भी माना जा रहा है.

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Published : Feb 24, 2019, 4:28 AM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:26 PM IST

अंबेडकरनगर: एक दौर था जब मनरेगा के तहत मजदूरों को सौ दिन के कार्य की गारंटी मिलती थी. यही नहीं लोगों को कार्य भी मुहैया होता था, लेकिन समय बीतने के साथ जनपद में इसका परिदृश्य भी बदलने लगा. मनरेगा को लेकर सरकारी आंकड़ों की फ़ेहरिस्त तो काफी लंबी है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है. जॉब कार्ड धारक कार्य के लिए भटक रहे हैं.

आलम यह है कि आधे से अधिक जॉब कार्ड धारक मजदूरों को निष्क्रिय मजदूर मान लिया गया है. 100 दिन का रोजगार तो मजदूरों के लिए स्वप्न सरीखा हो गया है. दो अक्टूबर 2005 को मनरेगा को अधिनियमित किया गया. यह व्यवस्था की गई थी कि प्रत्येक जॉब कार्ड धारक को जो कार्य करना चाहते हैं, उनके परिवार को सौ दिन का कार्य दिया जाय. लेकिन यह योजना अब मजदूरों के लिए मुफीद नहीं साबित रही है.

विभाग से मिले आंकड़ों के मुताबिक जनपद में 2 लाख 32 हजार जॉबकार्ड धारक हैं, जिनमें से सिर्फ 1 लाख 10 हजार के करीब लोग ही सक्रिय मजदूर हैं. शेष लोग निष्क्रिय हैं. बताया जा रहा है कि जनपद में लगभग 342 मजदूर ही ऐसे हैं, जिन्हें सौ दिन का कार्य मिला. ऐसा नहीं है कि लोग मनरेगा में कार्य करना नहीं चाहते. कार्य करने के लिए लोग इच्छुक हैं, लेकिन उन्हें कार्य ही नहीं मिल पा रहा.

मनरेगा में कार्य न मिलना मशीनरी का प्रयोग भी माना जा रहा है.

मनरेगा जॉबकार्ड धारकों का कहना है कि दो-दो, तीन-तीन साल से उन्हें कार्य ही नहीं मिल पा रहा, जबकि इसकी मांग वो कर चुके हैं. मनरेगा में कार्य न मिलना मशीनरी का प्रयोग भी माना जा रहा है. क्योंकि ग्रामीण इलाकों में अधिकांश कार्य जेसीबी मशीन से कराकर प्रधानों और ठेकेदारों द्वारा अपने कुछ चहेतों के नाम भुगतान करा लिया जाता है. वास्तव में मनरेगा सिर्फ कागजों में ही किसानों और मजदूरों के लिए हितकारी रह गयी है.

जनपद में मनरेगा की स्थिति को लेकर मुख्य विकास अधिकारी अनूप कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि शासन से मिले पिछले लक्ष्य को पूरा कर लिया गया है. मार्च के लक्ष्य को भी पूरा कर लिया जाएगा. जिले के 69 हजार लोगों ने कार्य मांगा था, जिसमे से 60 हजार लोंगो को काम मिला है. प्रशासन के दावों के बावजूद विभागीय आंकड़े मनरेगा की बदहाली को बयां कर रहे हैं.

Last Updated : Sep 17, 2020, 4:26 PM IST

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